Edited By Anil Kapoor,Updated: 28 Nov, 2024 02:21 PM
Ghaziabad News: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में 30 साल पहले गायब हुए एक युवक की अचानक घर वापसी ने पूरे परिवार को हैरान और भावुक कर दिया। यह कहानी बिल्कुल फिल्मों जैसी है, जिसमें एक बच्चा अपने घर से अचानक गायब हो जाता है और फिर 30 साल बाद अपनी...
Ghaziabad News: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में 30 साल पहले गायब हुए एक युवक की अचानक घर वापसी ने पूरे परिवार को हैरान और भावुक कर दिया। यह कहानी बिल्कुल फिल्मों जैसी है, जिसमें एक बच्चा अपने घर से अचानक गायब हो जाता है और फिर 30 साल बाद अपनी पहचान और परिवार को ढूंढता हुआ वापस लौट आता है।
30 साल पहले गायब हुआ था राजू
राजू जो 30 साल पहले गाजियाबाद के एक इलाके में अपने परिवार के साथ रहता था, रोज की तरह अपनी बहन के साथ स्कूल गया था। स्कूल से लौटते वक्त वह बहन से नाराज होकर सड़क पर बैठ गया और उसकी बहन आगे चली गई। इसी दौरान कुछ लोग उसे टेंपो में बैठाकर ले गए और राजस्थान के जैसलमेर तक पहुंचा दिया। वहां उसे बकरी और भेड़ें चराने का काम दिया गया। राजू ने बताया कि काम के बाद उसे रोटियां दी जाती थीं, और फिर उसे बांध कर रखा जाता था। धीरे-धीरे वह बड़ा हो गया, लेकिन उसने हमेशा अपने परिवार और गाजियाबाद की यादें संजो कर रखीं। एक दिन जब कुछ लोग बकरियां खरीदने आए, तो उन्होंने उसकी मदद की और वह उनके साथ दिल्ली और फिर गाजियाबाद पहुंचा।
गाजियाबाद पहुंचने पर पुलिस से ली मदद
राजू ने गाजियाबाद पहुंचने के बाद अपने परिवार को ढूंढने की कोशिश की, लेकिन वह शहर में हुए बदलावों के कारण अपने घर का पता नहीं लगा सका। इसके बाद वह गाजियाबाद के खोड़ा थाने पहुंचा और पुलिस से अपनी कहानी सुनाई। पुलिस ने उसकी पहचान के बारे में जानकारी ली और सोशल मीडिया के माध्यम से यह मामला साझा किया।
पुलिस ने शुरू की जांच, 31 साल पहले दर्ज हुई थी गायब होने की रिपोर्ट
पुलिस की जांच में पता चला कि 31 साल पहले थाना साहिबाबाद में एक 12 वर्षीय बच्चे के गायब होने की एफआईआर दर्ज की गई थी, जो पूरी तरह से राजू से मेल खा रही थी। इसके बाद पुलिस ने राजू के परिवार को तलाशना शुरू किया।
परिवार ने पहचानने में की मदद
राजू के परिवार को उसके बारे में सोशल मीडिया के जरिए जानकारी मिली। इसके बाद उसकी मां लीलावती और चाचा थाने पहुंचे, जहां उन्होंने राजू को पहचान लिया। पुलिस द्वारा पूछे जाने पर राजू के माता-पिता ने उसे पहचानने के लिए उसके शरीर पर मौजूद कुछ खास निशानों का जिक्र किया। राजू के दिल के पास एक तिल का निशान था और उसके सिर में एक गड्ढा भी था, जो परिवार के लिए पहचान का महत्वपूर्ण संकेत था।
पुलिस ने राजू को उसके परिवार को सौंपा
इन दोनों पहचान चिन्हों के बाद पुलिस ने राजू को उसके परिवार के पास वापस भेज दिया। राजू का पिता तुलाराम, जो दिल्ली में बिजली विभाग से हाल ही में रिटायर हुए थे, अपने इकलौते बेटे की वापसी से बेहद खुश थे। राजू की तीन बहनें भी हैं, और पूरे परिवार ने मिलकर बेटे की वापसी का स्वागत किया।
मामले में पुलिस की भूमिका सराहनीय
गाजियाबाद पुलिस ने इस मामले में अहम भूमिका निभाई, और एसीपी साहिबाबाद रजनीश उपाध्याय ने कहा कि इस कठिन जांच को पूरा करने में पुलिस को काफी समय और मेहनत लगी, लेकिन अब यह कहानी खुशियों का कारण बन गई है। 30 साल बाद अपने परिवार से मिलने वाले राजू की कहानी ने साबित कर दिया कि कभी-कभी सच्चाई और प्यार की ताकत समय और हालात को भी बदल देती है।