Edited By Anil Kapoor,Updated: 28 Jul, 2025 08:02 AM

Mainpuri News: उत्तर प्रदेश में मैनपुरी के रहने वाले राजवीर सिंह यादव की जिंदगी एक छोटी सी गलती की वजह से बुरी तरह प्रभावित हो गई। दरअसल, पुलिस ने उनके भाई रामवीर यादव को गिरफ्तार करना चाहा था, लेकिन एक अक्षर की गलती के कारण राजवीर का नाम गलत तरीके...
Mainpuri News: उत्तर प्रदेश में मैनपुरी के रहने वाले राजवीर सिंह यादव की जिंदगी एक छोटी सी गलती की वजह से बुरी तरह प्रभावित हो गई। दरअसल, पुलिस ने उनके भाई रामवीर यादव को गिरफ्तार करना चाहा था, लेकिन एक अक्षर की गलती के कारण राजवीर का नाम गलत तरीके से मुकदमे में आ गया। इसी वजह से राजवीर को 22 दिन जेल में रहना पड़ा और फिर उनके ऊपर 17 साल तक मुकदमा चलता रहा।
पुलिस की गलती ने बढ़ाई मुसीबत
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, 31 अगस्त 2008 को मैनपुरी की शहर कोतवाली में इंस्पेक्टर ओमप्रकाश ने राजवीर और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। विवेचना की जिम्मेदारी दन्नाहार थाना पुलिस को दी गई थी। तत्कालीन SI शिवसागर दीक्षित ने 1 दिसंबर 2008 को राजवीर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। पुलिस ने कहा कि राजवीर का आपराधिक इतिहास है और पहले भी उसके खिलाफ 3 मुकदमे दर्ज हैं। लेकिन यह मुकदमे असल में उनके भाई रामवीर के खिलाफ थे।
अदालत में खुली पोल
राजवीर ने आगरा की अदालत में जाकर इस गलती का पता लगाया और बताया कि पुलिस ने उनका नाम गलत लिख दिया है। कोर्ट ने मामले की जांच की और शहर कोतवाली के इंस्पेक्टर ओमप्रकाश को तलब किया। इंस्पेक्टर ने कोर्ट में माना कि राजवीर का नाम केस में गलती से आ गया था और असल आरोपी उनके भाई रामवीर थे।
लापरवाही से हुआ बड़ा नुकसान
लेकिन पुलिस ने इस गलती को सुधारने की जगह और बड़ी भूल कर दी। उन्होंने राजवीर का नाम हटाकर रामवीर का नाम जोड़ने की बजाय, राजवीर के खिलाफ ही चार्जशीट कोर्ट में पेश कर दी। इस कारण राजवीर पर 17 साल तक केस चला।
आखिरकार मिला न्याय
हाल ही में इस केस का फाइनल फैसला आया। अदालत ने राजवीर को सभी आरोपों से बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि पुलिस की बड़ी लापरवाही थी और अधिकारियों ने मामले को सही तरीके से नहीं संभाला। कोर्ट ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
राजवीर की जिंदगी फिर से पटरी पर
अब 55 साल के राजवीर को आखिरकार न्याय मिला है। इस लंबी लड़ाई में उनकी रोजी-रोटी, परिवार की खुशियां और मानसिक शांति बहुत प्रभावित हुई थी। लेकिन अब उन्हें बरी कर दिया गया है और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है।