CM योगी कह रहे स्कूल जाओ, शिक्षक कह रहा मत आओ...दूंगा एक हजार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Sep, 2017 01:52 PM

cm yogi says go to school teacher say do not

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां बच्चों को स्कूल जाओ की हिदायत दें रहे है, वहीं अमेठी में एक स्कूल एेसा भी है जो स्कूल ना आने पर बतौर रिश्वत दे रहा है.....

अमेठीः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां बच्चों को स्कूल जाओ की हिदायत दें रहे है, वहीं अमेठी में एक स्कूल एेसा भी है जो स्कूल ना आने पर बतौर रिश्वत दे रहा है। छात्रों ने यह आरोप अपने दिव्यांग शिक्षक पर लगाया है जो कि उनके उज्जवल भविष्य में बाधा बना हुआ है।
दरअसल यह मामला है जिले के ताला ग्राम प्राइमरी स्कूल का। जहां शिक्षा के स्तर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शिक्षक स्कूल में 15 दिन ना आने पर 1 हजार रुपए देने की बात कर रहा है। यहां छात्रों का भविष्य एक दिव्यांग शिक्षक के हाथ में है।

केवल 2 लोग ही चला रहे स्कूल
वहीं हेड मास्टर जितेंद्र त्रिपाठी की मानें तो वह स्कूल में अकेले हैं। छात्रों के पढ़ाने से लेकर रजिस्ट्रर तैयार करना और इसके अलावा दूसरे सरकारी काम उनके जिम्मेदारी पर ही है। इसे साथ ही वे बच्चों को पढ़ाते भी हैं। हेड मास्टर के ऊपर 5 कक्षाओं के बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी है।

छात्रों की संख्या हो रही कम
जिम्मेदारी बांटने के लिए एक दिव्यांग शिक्षक तो है लेकिन, आलम ये है कि वह जब आएंगे तो छात्रों को पढ़ाएंगे नहीं। अगर पढ़ाने भी लगे तो छात्रों को कहानी के प्रारूप में पढ़ाएंगे ना कि ब्लैक बोर्ड पर लिख कर। जिस वजह से छात्रों को कुछ समझ में ही नही आ रहा। इसका असर ये हुआ कि पहले इस स्कूल में क़रीब 90 छात्र थे, लेकिन मौजूदा समय में उनकी संख्या 60 पर पहुंच गई है।

ब्लैक बोर्ड पर पढ़ाना शिक्षक को नहीं पसंद
छात्र तो खुले तौर पर बोलते हैं कि छोटे सर (दिव्यांग शिक्षक) पढ़ाते ही नहीं, बल्कि दिन भर गाना सुनते रहते हैं और जब बच्चे पढानें की बात करते हैं तो मारने लगते हैं। इससे छात्र इनके क़रीब जाने से कतराते हैं। कुछ छात्रों ने तो यहां तक आरोप लगाया है कि सर कहते हैं 1 हज़ार रुपए हमसे ले लो और 15 दिन स्कूल मत आना। ऐसा ही आरोप छात्रों के अभिभावकों का भी है, अभिभावक कहते हैं है कि जब से इस स्कूल में यह शिक्षक आए है तब से बच्चे हर रोज स्कूल से घर आते ही शिकायत करते हैं।

जरुरत पड़ी तो रख लूंगा असिस्टेंटः शिक्षक
उधर दिव्यांग सर का मानना है कि जरुरी नहीं कि छात्रों को ब्लैक बोर्ड पर लिखकर ही पढाया जाए। इससे अच्छा तो मैं छात्रों को बोल के पढा लूंगा और और अगर लिख के पढ़ाने की जरूरत पड़ेगी तो मैं लैपटॉप या मोबाइल में लिख के बच्चों को पढ़ा सकता हूं। इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि अगर सरकार ब्लैक बोर्ड पर लिखकर पढाने का दबाव बनाएगी तो मैं असिस्टेंट रख लूंगा।

इस पूरे मामले में डीएम योगेश कुमार का कहना है कि मीडिया के माध्यम से उन्हें जानकारी हुई है। वह इस बारे में बीएसए से बात कर के दिव्यांग शिक्षक को वहां से हटा कर दूसरी जगह भेजेंगे और वहां दूसरे शिक्षक की नियुक्ति करवा दी जाएगी।

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