उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं ने फिर पकड़ा जोर, CM रावत ने जताई उम्मीद

Edited By Nitika,Updated: 25 Feb, 2021 10:58 AM

cabinet expansion discussed again in uttarakhand

उत्तराखंड में बुधवार को मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं ने तब और जोर पकड़ लिया जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इसकी उम्मीद निश्चितरूप से की जा सकती है।

 

देहरादूनः उत्तराखंड में बुधवार को मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं ने तब और जोर पकड़ लिया जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इसकी उम्मीद निश्चितरूप से की जा सकती है।

नई दिल्ली में प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नडडा सहित कई वरिष्ठ मंत्रियों से मुलाकात कर लौटे मुख्यमंत्री रावत ने संवाददाताओं से बातचीत में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इसमें कुछ भी अस्वाभाविक नहीं है। उन्होंने कहा, 'अभी कैबिनेट में कुछ पद खाली हैं। इन चर्चाओं का होना स्वाभाविक है। अभी प्रधानमंत्री जी से मिले हैं, अध्यक्ष जी से मिले हैं, तमाम मंत्रिगणों से मुलाकात हुई है। तो इस तरह की चर्चा अगर हुई है तो अस्वाभाविक नहीं है।' यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार की उम्मीद की जा सकती है, रावत ने कहा, 'निश्चित रूप से'।

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में जबरदस्त बहुमत से सत्ता में आई भाजपा सरकार के 4 साल के कार्यकाल में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं ने कई बार जोर पकड़ा लेकिन यह कवायद कभी अंजाम तक नहीं पहुंची। 18 मार्च 2017 को जब रावत सरकार का गठन हुआ तो केवल 10 सदस्यीय मंत्रिमंडल को ही शपथ दिलाई गई थी जबकि उत्तराखंड में अधिकतम 12 मंत्री हो सकते हैं। राज्य मंत्रिमंडल में रिक्त ये दो स्थान उसके बाद कभी भरे ही नहीं गए। जून, 2019 में प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्रालय सहित कई अहम विभाग संभाल रहे प्रकाश पंत के निधन हो जाने के बाद मंत्रिमंडल के रिक्त पदों की संख्या बढ़कर 3 हो गई। पंत के अचानक निधन ने मंत्रिमंडल के रिक्त पदों को भरे जाने को लेकर चर्चाओं के बाजार को गर्म कर दिया लेकिन शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक को संसदीय कार्यमंत्री और वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी दिए जाने के बाद ये चर्चाएं फिर बंद हो गई।

पिछले साल की शुरूआत में भी इन चर्चाओं ने तब जोर पकड़ लिया था जब मुख्यमंत्री रावत ने कहा था कि कैबिनेट में रिक्त पड़े स्थानों को भरे जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है क्योंकि हर मंत्री बहुत सारे विभागों की जिम्मेदारी संभालने के कारण बहुत बोझ उठा रहा है। हालांकि, उसके बाद भी इस दिशा में कुछ नहीं हुआ। अब एक साल बाद मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा तब हो रही है जब अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं।

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