Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 12 Apr, 2021 12:39 PM
उत्तर प्रदेश स्थित धर्मनगरी वाराणसी किसी पहचान की मोहताज नहीं है। काशी के घाट, गलियां, कपड़े से लेकर खान-पान सब कुछ एकअलग ही पहचान को दिखाते
वाराणसीः उत्तर प्रदेश स्थित धर्मनगरी वाराणसी किसी पहचान की मोहताज नहीं है। काशी के घाट, गलियां, कपड़े से लेकर खान-पान सब कुछ एकअलग ही पहचान को दिखाते हैं। इसी प्रसिद्धि को गति दिया है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने। जहां उनकी पहल के बाद देवलोक व धर्मनगरी कहीं जाने वाली काशी अब विश्व में संस्कृत नगरी के रूप में भी जानी जाएगी।
प्रदेश में सबसे अधिक संस्कृत विद्यालय वाराणसी में हैं
बता दें कि प्रदेश में सबसे अधिक संस्कृत विद्यालय वाराणसी में संचालित हो रहे हैं। यहां पर संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों की संख्या भी सबसे अधिक है। वाराणसी में 110 से अधिक संस्कृत स्कूल संचालित किए जा रहे है। वहीं प्रदेश भर में 13 संस्कृत के नए स्कूल खुलेंगे। काशी के बाद जौनपुर में संस्कृत के सबसे अधिक स्कूल है। संस्कृत भाषा के विस्तार और उसे अलग पहचान दिलाने के लिए प्रदेश की योगी सरकार जल्दी माध्यमिक व बेसिक शिक्षा की तर्ज पर संस्कृत निदेशालय बनाने की तैयारी है। इसकी घोषणा सीएम ने अपने बजट में की थी।
संस्कृत भाषा को मिलेगी नई पहचान
आगे बता दें कि निदेशालय बनने के बाद संस्कृत भाषा को नई पहचान मिल सकेगी। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संस्कृत में प्रेस विज्ञाप्ति जारी करने काम किया है। साथ में अपने अधिकारिक ट्विटर एकाउंट से संस्कृत में ट्विट भी किए हैं। सीएम की पहल के बाद संस्कृत बोर्ड ने भी प्रदेश में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के काम शुरू कर दिया है।