Prayagraj News: गर्भपात को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने की टिप्‍पणी, कहा- 'गर्भ गिराना या ना गिराना, यह महिला का निर्णय'

Edited By Anil Kapoor,Updated: 27 Jul, 2024 07:49 AM

whether to abort or not is a woman s decision allahabad high court

Prayagraj News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा है कि गर्भ गिराना या उसे बनाए रखना, यह पूरी तरह से महिला का फैसला होना चाहिए। अदालत ने यह टिप्पणी 15 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता के मामले में की। हालांकि, अदालत ने पीड़िता को 32 सप्ताह का गर्भ...

Prayagraj News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा है कि गर्भ गिराना या उसे बनाए रखना, यह पूरी तरह से महिला का फैसला होना चाहिए। अदालत ने यह टिप्पणी 15 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता के मामले में की। हालांकि, अदालत ने पीड़िता को 32 सप्ताह का गर्भ बनाए रखने की अनुमति प्रदान कर दी। बत्तीस सप्ताह का गर्भ गिराने से जुड़े जोखिम को लेकर दुष्कर्म पीड़िता और उसके माता पिता की काउंसलिंग के बाद न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की खंडपीठ ने कहा कि इस अदालत का विचार है कि गर्भ गिराना या नहीं गिराना, यह फैसला कोई और नहीं, बल्कि गर्भवती महिला को लेना होता है।

PunjabKesari

मिली जानकारी के मुताबिक, अदालत ने कहा कि यदि पीड़िता गर्भ बनाए रखने का निर्णय करती है और उस बच्चे को गोद लेने के लिए रखती है तो यह सुनिश्चित करना सरकार का दायित्व है कि इस प्रक्रिया को जितना संभव हो सके, गोपनीय रखा जाए और बच्चे को उसके मौलिक अधिकारों से वंचित ना किया जाए। इस तरह से, यह सुनिश्चित करना भी सरकार की जिम्मेदारी है कि गोद लेने की प्रक्रिया भी कुशल ढंग से की जाए और वह बच्चे के सर्वोत्तम हित में हो। याचिकाकर्ता की आयु उसकी 10वीं कक्षा के अंक पत्र के अनुसार 15 वर्ष है और वह अपने चाचा के घर रह रही थी। घर से लड़की के लापता होने पर उन्होंने एक व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 363 (अपहरण) के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई थी। लड़की के मिलने के समय यह पता चला कि वह नौ सप्ताह की गर्भवती थी।

PunjabKesari

चिकित्सकों की तीन अलग-अलग टीमों द्वारा तीन मेडिकल परीक्षण करने के बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यद्यपि गर्भ बने रहने से पीड़िता की शारीरिक एवं मानसिक स्थिति प्रभावित होगी, इस चरण में गर्भ गिराने से उसके जीवन को खतरा होगा। उच्चतम न्यायालय के विभिन्न निर्णयों पर विचार करते हुए जिसमें गर्भावस्था के बाद के चरणों में गर्भ गिराने की अनुमति नहीं दी गई, उच्च न्यायालय ने 24 जुलाई के अपने निर्णय में याचिकाकर्ता और उसके रिश्तेदारों को 32 सप्ताह का गर्भ गिराने की प्रक्रिया में जान को जोखिम से अवगत कराया जिसके बाद याचिकाकर्ता और उसके माता-पिता गर्भ बनाए रखने को राजी हो गए।

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!