अयोध्या में श्रीराम मंदिर भूमि पूजन में होगा संगम का जल और मिट्टी का उपयोग

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 21 Jul, 2020 05:21 PM

the ram temple in ayodhya will be used for bhoomi pujan the

श्रीराम मंदिर भूमि पूजन के लिए तीर्थराज प्रयाग के पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलिल स्वरूपा प्रवाहित सरस्वती के संगम से पवित्र जल और मिट्टी अयोध्या ले जायी जायेगी। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के महानगर प्रवक्ता अश्वनि कुमार मिश्र ने मंगलवार...

प्रयागराजः श्रीराम मंदिर भूमि पूजन के लिए तीर्थराज प्रयाग के पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलिल स्वरूपा प्रवाहित सरस्वती के संगम से पवित्र जल और मिट्टी अयोध्या ले जायी जायेगी। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के महानगर प्रवक्ता अश्वनि कुमार मिश्र ने मंगलवार को बताया कि श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए होने वाले भूमि पूजन में प्रयागराज संगम के पवित्र जल और मिट्टी का भी प्रयोग होगा।

उन्होंने बताया कि कितने लोग पवित्र जल और मिट्टी लेकर जाएंगे, शीघ्र बैठक कर कार्ययोजना तैयार की जाएगी। उन्होंने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य जगद्गुरू वासुदेवानंद सरस्वती के नेतृत्व में अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए पांच अगस्त को होने वाले भूमि पूजन में पवित्र जल और मिट्टी भेजी जाती। लेकिन चातुर्मास के कारण जगद्गुरू वासुदेवानंद सरस्वती भूमि पूजन में शामिल नहीं होंगे। उन्होने बताया कि अब किसी ऐसे व्यक्ति के नेतृत्व में प्रयागराज से पवित्र जल और मिट्टी भेजी जाएगी जिसका इस आंदोलन में लंबा जुड़ाव रहा है।

मिश्र ने कहा कि वर्षों तक मंदिर के लिए आंदोलन चलाने वाले संगठन, विश्व हिंदू परिषद से जुड़े कार्यकर्ता अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन की तिथि पांच अगस्त घोषित होने से प्रयागराज में संत समाज के भाव विभोर है। श्री रामजन्म भूमि आंदोलन में प्रयागराज की भूमिका अहम रही है। संगम तट पर माघ मेले, कुंभ के दौरान कई धर्म संसद भी हुईं। यहीं से विभिन्न चरणों की रणनीति तय होती थी। उन्होंने बताया कि विश्व हिंदू परिषद के महामंत्री और अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे स्वर्गीय अशोक सिंहल ने आंदोलन को निर्णायक मोड़ तक पहुंचाया था।

पूजन समारोह में प्रयाग के संत समाज की सहभागिता कोरोना संक्रमण को देखते हुए वैसी नहीं हो पाएगी, जैसी सामान्य दिनों में होती। प्रवक्ता ने बताया कि भूमि पूजन के दिन को ऐतिहासिक दिन के रूप में मनाते हुए लोगों से अपील की जाएगी कि अपने घरों में घी के दीपक जलाएं और मंदिरों में घंट और घडियाल बजाये।


 

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