सलाम! IPS भाई ने कानपुर में खोला कोविड अस्पताल, तो IAS बहन संक्रमितों का कर रही इलाज

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 10 May, 2021 03:47 PM

salute ips brother opens covid hospital in kanpur then ias

कोरोना काल में भ्रष्ट अफसरों की करतूतों की खबरों के बीच कानपुर के आईपीएस भाई और राजस्थान की आईएएस बहन की यह कहानी सुकून देने वाली है। आईपीएस अनिल कुमार कानपुर में एडीसीपी ट्रैफिक हैं। उन्होंने दूसरी लहर आते ही कानपुर में कोविड अस्पताल शुरू...

कानपुरः कोरोना काल में भ्रष्ट अफसरों की करतूतों की खबरों के बीच कानपुर के आईपीएस भाई और राजस्थान की आईएएस बहन की यह कहानी सुकून देने वाली है। आईपीएस अनिल कुमार कानपुर में एडीसीपी ट्रैफिक हैं। उन्होंने दूसरी लहर आते ही कानपुर में कोविड अस्पताल शुरू कर दिया। अनिल के अनुभव को देखते हुए पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने उन्हें कोरोना सेल का प्रभारी भी बनाया है। दूसरी तरफ उनकी बहन डॉ. मंजू आईएएस हैं। वह राजस्थान के उदयपुर में डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट अफसर हैं। वह भी कोरोना मरीजों का इलाज कर रही हैं। दोनों भाई-बहन सिविल सेवा में आने से पहले एमबीबीएस की पढ़ाई कर चुके हैं।

बता दें कि अनिल कुमार ने जोधपुर के एसएन मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस करने के बाद कुछ दिनों तक दिल्ली के गुरु तेगबहादुर अस्पताल में प्रैक्टिस भी की है। वह राजस्थान में झुंझनू जिले के अलसीसर के रहने वाले हैं। अनिल ने दूसरी लहर आते ही कानपुर पुलिस लाइन में 16 बेड का एक एल-1 श्रेणी का हॉस्पिटल शुरू कर दिया। ओपीडी में रोजाना बैठने लगे। इस दौरान एडीजे की पत्नी बीमार पड़ गईं। उन्हें कहीं इलाज नहीं मिल रहा था। ऐसे में उन्हें अपने अस्पताल में भर्ती करके  ठीक कर दिया। अस्पताल में अबतक 18 मरीजों को ठीक किया है और ओपीडी में 385 से ज्यादा संक्रमितों को इलाज दिया है। जिनमें ज्यादातर पुलिसकर्मी और उनका परिवार शामिल हैं।

वहीं अनिल कुमार की बहन डॉक्टर मंजू ने भी कोरोना काल के दौरान मरीजों की सेवा करने का फैसला लिया। मंजू ने भी एमबीबीएस करने के बाद सिविल सेवा परीक्षा पास की है। मंजू अभी राजस्थान कैडर की आईएएस अफसर हैं। साथ ही इस पहल के बाद मंजू को उदयपुर में डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट अफसर डॉ. मंजू ऑक्सीजन ऑडिट टीम की प्रभारी बनाया गया है। उन्होंने ऑक्सीजन की किल्लत को सिर्फ दूर नहीं किया, बल्कि जिले के एक सरकारी और 4 प्राइवेट अस्पताल में कोविड पेशेंट की देखरेख भी कर रही हैं।

वहीं अनिल कुमार की पहल और मेहनत का ही नतीजा है कि एक 52 साल की महिला जिनकी हालत बहुत खराब थी, लेकिन अनिल कुमार ने हिम्मत नही हारी और दिन रात एक करते हुए महिला को स्वस्थ करने में सफलता प्राप्त की, जिसके बाद महिला व उनका परिवार इतना खुश है कि वह अनिल कुमार को धन्यवाद कर रहे है। 

कोराना काल के इस दौर में जहां लोग अपनों से मुंह मोड रहे है। ऐसे समय में आईपीएस भाई और आईएएस बहन ने लोगों के लिए मानवता की मिसाल पेश की है। कोरोना की दूसरी लहर में आईपीएस भाई और उनकी आईएएस बहन दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। 
 

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