सपा का राष्‍ट्रीय अधिवेशन 29 सितंबर को, अखिलेश के लगातार तीसरी बार अध्‍यक्ष चुने जाने की सम्‍भावना

Edited By PTI News Agency,Updated: 27 Sep, 2022 06:07 PM

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लखनऊ, 27 सितंबर (भाषा) उत्‍तर प्रदेश में मुख्‍य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) का राष्‍ट्रीय अधिवेशन आगामी 29 सितंबर को लखनऊ में आयोजित किया जाएगा। स्‍थानीय निकाय के आसन्‍न चुनावों और उसके बाद वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से बेहद...

लखनऊ, 27 सितंबर (भाषा) उत्‍तर प्रदेश में मुख्‍य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) का राष्‍ट्रीय अधिवेशन आगामी 29 सितंबर को लखनऊ में आयोजित किया जाएगा। स्‍थानीय निकाय के आसन्‍न चुनावों और उसके बाद वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से बेहद महत्‍वपूर्ण माने जा रहे इस अधिवेशन में अखिलेश यादव को लगातार तीसरी बार पार्टी का अध्‍यक्ष चुने जाने की सम्‍भावना है।
अधिवेशन में मुख्‍य विपक्षी दल होने के नाते सत्‍तारूढ़ भाजपा से निपटने के लिए सपा अपनी कारगर भूमिका के बारे में चर्चा करेगी। साथ ही वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी की रणनीति पर भी गहन चर्चा होगी।
सपा के मुख्‍य प्रवक्‍ता राजेन्‍द्र चौधरी ने मंगलवार को 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि पार्टी का राष्‍ट्रीय अधिवेशन 29 सितंबर को जबकि प्रान्‍तीय अधिवेशन एक दिन पहले 28 सितंबर को होगा। रमाबाई अंबेडकर रैली स्‍थल पर आयोजित होने जा रहे इन अधिवेशनों में पार्टी के करीब 25 हजार प्रतिनिधि हिस्‍सा लेंगे।
उन्‍होंने बताया कि राष्‍ट्रीय अधिवेशन में पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष का चुनाव होगा। राज्‍य स्‍तरीय अधिवेशन में प्रान्‍तीय अध्‍यक्ष का चुनाव होगा। इसके अलावा निकट भविष्‍य में होने वाले स्‍थानीय निकाय चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिये पुख्‍ता रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
राष्‍ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश यादव को ही लगातार तीसरी बार पार्टी अध्‍यक्ष चुने जाने की प्रबल सम्‍भावना है। पार्टी में तत्‍कालीन कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव से गतिरोध के कारण पार्टी के झंडे और चुनाव निशान को लेकर अदालती लड़ाई जीतने के बाद अखिलेश यादव को एक जनवरी 2017 को आपात राष्‍ट्रीय अधिवेशन बुलाकर पहली बार पार्टी संस्‍थापक मुलायम सिंह यादव के स्‍थान पर दल का राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बनाया गया था। उसके बाद अक्‍टूबर 2017 में आगरा में हुए विधिवत राष्‍ट्रीय अधिवेशन में उन्‍हें एक बार फिर सर्वसम्‍मति से पार्टी का अध्‍यक्ष चुना गया था। उस वक्‍त पार्टी के संविधान में बदलाव कर अध्‍यक्ष के कार्यकाल को तीन साल से बढ़ाकर पांच वर्ष कर दिया गया था।
अक्‍टूबर 1992 में गठित सपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष पद पर अब तक यादव परिवार का ही कब्‍जा रहा है। अखिलेश से पहले मुलायम सिंह यादव ही पार्टी के अध्‍यक्ष रहे।
इस बीच, पार्टी के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता आशुतोष पटेल ने बताया कि सम्‍मेलन में सपा संस्‍थापक मुलायम सिंह को भी आमंत्रित किया गया है, मगर उनके खराब स्‍वास्‍थ्‍य को देखते हुए उनके शामिल होने पर संशय की स्थिति बनी हुई है।
चौधरी ने बताया कि सपा के राष्‍ट्रीय और प्रांतीय अधिवेशनों में देश और प्रदेश की राजनीतिक-आर्थिक स्थिति पर प्रस्ताव पारित करने के साथ-साथ समाजवादी पार्टी की भूमिका की दिशा भी सुनिश्चित की जाएगी। साथ ही जातीय जनगणना के मुद्दे पर भी खास तौर से चर्चा होगी।
उन्‍होंने कहा ''सत्‍तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने देश में राजनीतिक एवं आर्थिक संकट पैदा किया है और लोकतांत्रिक व्यवस्था के साथ खिलवाड़ कर रही है। मुख्‍य विपक्षी दल होने के नाते उससे निपटने के लिए सपा अपने इन सम्मेलनों में अपनी कारगर भूमिका के बारे में चर्चा करेगी। इन सम्मेलनों में वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी की रणनीति पर भी गहन चर्चा होगी।'' सपा प्रवक्‍ता ने कहा कि पार्टी के राष्‍ट्रीय एवं प्रान्‍तीय सम्मेलनों में भाजपा द्वारा लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर किए जाने, अर्थव्यवस्था में जारी गिरावट, कानून-व्‍यवस्‍था की बदहाली और सामाजिक सद्भाव को खतरे में डालने जैसे विषयों पर भी खास तौर से चर्चा होगी।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति, शिक्षा-स्वास्थ्य क्षेत्र की बदहाली, बढ़ते भ्रष्टाचार और किसानों एवं नौजवानों के साथ सरकारों द्वारा धोखा किये जाने के मसलों पर राजनीतिक-आर्थिक प्रस्तावों के जरिये भी प्रकाश डाला जाएगा।
चौधरी ने बताया कि सम्‍मेलनों में हिस्‍सा लेने के लिये मंगलवार से ही प्रतिनिधियों का आना शुरू हो चुका है। अधिवेशन की शुरुआत बुधवार पूर्वाह्न 10 बजे सपा प्रमुख अखिलेश यादव झंडारोहण करके करेंगे।
सपा का यह राष्‍ट्रीय अधिवेशन वर्ष 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव और साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की लगातार चुनावी शिकस्‍तों के बाद आयोजित हो रहा है।
प्रदेश के हर चुनाव में भाजपा की जोरदार तैयारियों को देखते हुए सपा के सामने अब चुनौतियां पहले से भी अधिक होंगी। उसके सामने आगामी नवम्‍बर-दिसम्‍बर में सम्‍भावित नगरीय निकाय के चुनाव और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती है।
ऐसे में पार्टी नेतृत्‍व को पिछली गलतियों से सीख लेते हुए संगठन को नए सिरे से सक्रिय करते हुए उसमें नयी ऊर्जा भरनी होगी।



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