Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 04 Dec, 2020 11:42 AM
प्रवर्तन निदेशालय ने धनशोधन के मामले की जांच के तहत ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया'' के अध्यक्ष ओ एम अब्दुल सलाम और उसके केरल राज्य प्रमुख नसरुद्दीन एलामारोम के परिसरों
नयी दिल्ली/लखनऊः प्रवर्तन निदेशालय ने धनशोधन के मामले की जांच के तहत ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया' के अध्यक्ष ओ एम अब्दुल सलाम और उसके केरल राज्य प्रमुख नसरुद्दीन एलामारोम के परिसरों समेत नौ राज्यों में पीएफआई के कम से कम 26 परिसरों पर बृहस्पतिवार को छापे मारे। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। पीएफआई का 2006 में केरल में गठन हुआ था और इसका मुख्यालय दिल्ली में है।
वहीं पीएफआई ने इस छापेमारी को किसानों के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए हथकंडा करार दिया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चेन्नई, तेनकासी और मदुरै (तमिलनाडु), बेंगलुरु, दरभंगा और पूर्णिया (बिहार), लखनऊ और बाराबंकी (उत्तर प्रदेश), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), कोलकाता और मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल), जयपुर, दिल्ली के शाहीन बाग इलाके और केरल के कोच्चि, मालप्पुरम और तिरुवनंतपुरम जिलों में धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत छापे मारे जा रहे हैं। केंद्रीय जांच एजेंसी देश में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों, इस साल फरवरी में दिल्ली में हुए दंगों और कई अन्य घटनाओं को भड़काने को लेकर ‘‘वित्तीय संबंधों'' के आरोपों की पीएफआई के खिलाफ जांच कर रही है।
उन्होंने बताया कि इस छापेमारी का मकसद पीएफआई और उससे संबंधित लोगों के खिलाफ धन शोधन के विभिन्न मामलों में जारी जांच के तहत सबूत एकत्र करना है। धन शोधन संबंधी विभिन्न मामलों को उसके खिलाफ एक “बड़ी जांच” के तहत एक ही मामले में मिला दिया गया है। सूत्रों ने कहा कि ईडी ने अपनी जांच के तहत केरल सोना तस्करी मामले और अगस्त में बेंगलुरु के दो पुलिस थानों पर हमले की साजिश और हमले, उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक दलित लड़की से कथित सामूहिक दुष्कर्म और खुदकुशी के बाद रुपयों के संदिग्ध हस्तांतरण व ऐसे ही कुछ अन्य आपराधिक मामलों में पीएफआई कार्यकर्ताओं की गतिविधियों को भी शामिल किया है।
सूत्रों ने बताया कि केरल में सलाम और पीएफआई के राष्ट्रीय सचिव एलामारोम तथा संगठन के कई अन्य पदाधिकारियों के परिसरों पर भी छापे मारे जा रहे हैं। इससे पहले, उसने केरल राज्य विद्युत बोर्ड के वरिष्ठ सहायक सलाम और दिल्ली में पीएफआई के कई अन्य पदाधिकारियों के बयान भी दर्ज किए थे। एजेंसी ने कहा था कि वे खास रकम के स्त्रोत और उसे किस जगह खर्च किया गया, इस बारे में जानकारी नहीं दे सके थे। पीएफआई ने कहा कि उसकी गतिविधियां “पारदर्शी” व सार्वजनिक हैं और उनके पास छिपाने के लिये कुछ भी नहीं है।