Kanwar Yatra 2025: योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा को उच्च तकनीक वाली आध्यात्मिक प्रक्रिया में किया तब्दील

Edited By Pooja Gill,Updated: 24 Jul, 2025 08:28 AM

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लखनऊ: श्रावण मास में निकाली जाने वाली कांवड़ यात्रा अपने आखिरी पड़ाव पर है। इस बार उत्तर प्रदेश सरकार ने इस वार्षिक तीर्थयात्रा को निर्बाध और सुरक्षित रूप से जारी रखने के लिए एक व्यापक...

लखनऊ: श्रावण मास में निकाली जाने वाली कांवड़ यात्रा अपने आखिरी पड़ाव पर है। इस बार उत्तर प्रदेश सरकार ने इस वार्षिक तीर्थयात्रा को निर्बाध और सुरक्षित रूप से जारी रखने के लिए एक व्यापक और तकनीक से संचालित आध्यात्मिक प्रक्रिया में बदलने का प्रयास शुरू किया है। कांवड़ यात्रा रूपी आध्यात्मिक सफर के लिये इस साल की व्यवस्थाएं प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के बाद से किसी धार्मिक आयोजन में तकनीक और मानव शक्ति के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल को दर्शाती हैं। 

मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व वाली सरकार ने महीने भर चलने वाली इस तीर्थयात्रा को 'सेवा और सुरक्षा' के एक समन्वित मॉडल में बदला है, जिसमें डिजिटल निगरानी, यातायात नियंत्रण, सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं और आपातकालीन प्रतिक्रिया दलों का बेहतरीन तालमेल दिख रहा है। हर साल पवित्र श्रावण मास के दौरान आयोजित होने वाली कांवड़ यात्रा में लाखों कांवड़िए शिव भक्त गंगा से पवित्र जल इकट्ठा करने और स्थानीय शिव मंदिरों में चढ़ाने के लिए सैकड़ों किलोमीटर पैदल यात्रा करते हैं। 

40,000 सिपाही सुरक्षा के लिए तैनात 
श्रावण मास की शिवरात्रि के साथ यात्रा अपने चरम पर पहुंच गई है। हालांकि श्रद्धालु इस पावन हिंदू माह के समापन तक शिव मंदिरों में दर्शन करते रहेंगे। अधिकारियों के अनुसार इस वर्ष की विस्तृत योजना में 29,000 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे, 395 उच्च तकनीक वाले ड्रोन, 587 अधिकारी, 13,520 उप-निरीक्षक और लगभग 40,000 सिपाही तैनात किए गये। श्रद्धालुओं या नागरिकों की किसी भी समस्या का त्वरित समाधान करने के लिए एक समर्पित सोशल मीडिया निगरानी प्रकोष्ठ भी गठित किया गया है। 

कांवड़ यात्रा एकता का अद्भुत संगम हैः योगी 
मुख्यमंत्री योगी ने कहा, ''कांवड़ यात्रा जारी है। मजदूर वर्ग से लेकर उच्च वर्ग तक हर व्यक्ति इस अभियान से जुड़ा है। यह एकता का अद्भुत संगम है। इसमें कोई भेदभाव नहीं है। जाति, क्षेत्र, वर्ग, आस्था या समुदाय का कोई भेद नहीं है। सभी चलते हुए 'हर-हर बम-बम' का जाप करते हैं।  वे 300-400 किलोमीटर पैदल यात्रा करते हैं, पवित्र जल अपने कंधों पर ढोते हैं और उसी भक्तिभाव के साथ लौटते हैं।'' 
 

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