Edited By Ramkesh,Updated: 26 Jul, 2020 08:19 PM
विश्वविख्यात इस्लामिक संस्था दारुल उलूम ने बकरीद से ठीक पहले कुर्बानी को लेकर एक फतवा जारी किया है।
सहारानपुर: विश्वविख्यात इस्लामिक संस्था दारुल उलूम ने बकरीद से ठीक पहले कुर्बानी को लेकर एक फतवा जारी किया है। फतवे में कहा की जैसे नमाज़ पढऩे से रोजा और रोजा रखने से नमाज़ का फर्ज अदा नहीं होता। उसी तरह अगर कोई शख्स क़ुर्बानी करने के बजाए यह चाहे की वह जानवर या उसकी कीमत सदक़ा कर दे तो उसकी क़ुर्बानी अदा नहीं होगी और इबादत छोडऩे का गुनाहगार होगा।
बता दें कि दारुल उलूम ने यह फतवा तब जारी किया जब एक सख्स ने दारुल उलूम देवबंद से सवाल पूछा था कि वह कुर्बानी के पैसों से किसी गरीब व्यक्ति की मदद करना चाहता है, क्या यह जायज़ है? इस पर दारुल उलूम के दारुल इफ्ता यानि फतवा विभाग ने एक फतवा जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि ऐसा करना जायज़ नहीं है। उन्होंने कहा कि जिन मुसलमानों पर क़ुरबानी वाजिब है उनके लिए हर साल की तरह इस साल भी क़ुरबानी का अहतमाम (प्रबंध) करना लाजिम और ज़रूरी है।
उन्होंने हदीस का हवाला देते हुए मुफ़्ितयों ने कहा कि जो शख्स क़ुरबानी की हैसियत रखता है और क़ुरबानी न करे वे ईदगाह में न आए। साथ ही कहा कि क़ुर्बानी का गोश्त (मांस) तीन हिस्सों में कर लिया जाए, एक हिस्सा अपने लिए, एक हिस्सा रिश्तेदारों के लिए और एक हिस्सा असहाय व ग़रीबों में बांट दिया जाए।