Loksabha Election 2024: जानें फूलन देवी को सांसद बनाने वाली मिर्जापुर लोकसभा सीट का इतिहास, क्या है जातिगत आंकड़े ?

Edited By Imran,Updated: 30 Mar, 2024 12:31 PM

history of mirzapur lok sabha seat

विंध्य की पहाड़ियों और मां विंध्याचल की गोद में बसा मिर्जापुर आर्थिक, सामरिक और पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।1989 में प्रदेश के सबसे बड़े जिले सोनभद्र से अलग कर मिर्ज़ापुर को बनाया गया।

Loksabha Election 2024: विंध्य की पहाड़ियों और मां विंध्याचल की गोद में बसा मिर्जापुर आर्थिक, सामरिक और पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।1989 में प्रदेश के सबसे बड़े जिले सोनभद्र से अलग कर मिर्ज़ापुर को बनाया गया। इस जिले से गंगा नदी गुजरती है। नदी के एक तरफ वाराणसी का इलाका तो दूसरी तरफ शहर मिर्ज़ापुर बसता है। जिला मुख्यालय से कुछ दूरी पर ही मां विंध्याचल देवी का पौराणिक स्थल है। साथ ही चंद्रकांता का मशहूर किला चुनारगढ़ भी इसी जिले में मौजूद है। इसके अलावा मिर्जापुर पीतल उद्योग के लिए भी पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां बनने वाले पीतल के बर्तन दूर-दूर तक जाते हैं। इसके अलावा इस जिले में चीनी मिट्टी से बने बर्तन भी काफी मशहूर है। इसके अलावा इस लोकसभा क्षेत्र के वाराणसी और इलाहाबाद से सटे होने के कारण इसका राजनीतिक महत्व काफी बढ़ जाता है।
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बात करें इस सीट के राजनीतिक इतिहास की तो इस सीट पर 1957 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के जे एन विल्सन सांसद चुने गए। वहीं 1962 के चुनाव में कांग्रेस के श्यामधर मिश्रा सांसद बने। 1967 के चुनाव में भारतीय जनसंघ के वी नारायण सांसद बने। वहीं 1971 में हुए चुनाव में कांग्रेस के अजीम इमाम सांसद बने। 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल के फाकिर अली यहां से सांसद बने। वहीं 1980 में कांग्रेस ने यहां वापसी कि और अजीम इमाम यहां से सांसद बने। 1984 के चुनाव में कांग्रेस के उमाकांत मिश्रा यहां से चुनाव जीते। 1989 के चुनाव में जनता दल से युसा बेग ने चुनाव जीता। 1991 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के बीरेंद्र सिंह चुनाव जीते। 1996 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर फूलन देवी जीत कर संसद पहुंची। 1998 के चुनाव में बीजेपी के बीरेंद्र सिंह दुबारा सांसद बने। 1999 के चुनाव में सपा से फूलन देवी दुबारा सांसद बनी। वहीं 2004 के चुनाव में बसपा से नरेंद्र कुमार कुशवाहा सांसद बने। 2009 के चुनाव में सपा से बालकुमार पटेल चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। 2014 में बीजेपी और अपना दल सोनेलाल पटेल गुट का यहां गठबंधन हुआ और बीजेपी ने सीट अपना दल को दे दी यहां से अनुप्रिया पटेल जीत कर संसद पहुंची।

2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी और अपना दल गठबंधन कोटे से यह सीट अपना दल के पास गई थी और अनुप्रिया पटेल एक बार फिर यहां से जीत कर संसद पहुंची थी। 

 मिर्जापुर लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा सीटें
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अगर बात करें विधानसभा सीटों कि तो मिर्जापुर लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा सीटें आती हैं। छानबे, मिर्जापुर, मड़िहान, चुनार और मझवां विधानसभा सीटें हैं। 

अगर 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के परिणामों पर नजर डालें तो मिर्जापुर, मड़िहान और चुनार की विधानसभा सीटों पर भाजपा ने बाजी मारी थी। तो वहीं भाजपा के सहयोगी दल निषाद पार्टी के खाते में मझवां और अपना दल के खाते में छानबे की विधानसभा सीटें गई थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी कुछ ऐसा ही हाल देखने को मिला था। जहां 4 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया था। तो वहीं छानबे सुरक्षित सीट पर गठबंधन साथी अपना दल ने चुनाव लड़ा और जीता। इस तरीके से सभी सीटें एनडीए गठबंधन के पास ही है। 

लोकसभा चुनाव में मिर्जापुर सीट पर कुल मतदाता
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2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में मिर्जापुर सीट पर कुल 18 लाख 45 हज़ार 152 वोटर अपने मत का प्रयोग करेंगे। जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 73 हज़ार 720 है जबकि महिला वोटरों की संख्या 8 लाख 71 हज़ार 275 है। वहीं ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या 157 है।

एक नजर 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर 
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अगर 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के परिणाम पर नजर डालें तो यह सीट भाजपा के गठबंधन साथी अपनी दल सोनेलाल के खाते में गई थी। अपना दल की ओर से एक बार फिर अनुप्रिया पटेल मैदान में उतरी थी। अनुप्रिया पटेल कुल 5 लाख 91 हजार 564 वोट पाकर यहां से विजयी रही थी। उन्होंने सपा के राम चरित्र निषाद को 2 लाख 32 हजार वोटों के भारी अंतर से मात दी थी। सपा के राम चरित्र निषाद को कुल 3 लाख 59 हजार 556 वोट मिले थे। कांग्रेस के ललितेश पति त्रिपाठी 91 हजार 501 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे थे। 

एक नजर 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर 
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मिर्ज़ापुर लोकसभा सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में अपना दल से अनुप्रिया पटेल चुनाव जीत कर संसद पहुंची। अनुप्रिया पटेल को कुल 4 लाख 36 हज़ार 536 वोट मिले। दूसरे नंबर पर बसपा से समुद्र बिंद रहे। समुद्र बिंद को कुल 2 लाख 17 हज़ार 457 वोट मिले। तीसरे नंबर पर कांग्रेस से ललितेश पति त्रिपाठी रहे। ललितेश को कुल 1 लाख 52 हज़ार 666 वोट मिले। 

एक नजर 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर 
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2009 के लोकसभा चुनाव में सपा से बालकुमार पटेल चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। बालकुमार पटेल को कुल 2 लाख 18 हज़ार 898 वोट मिले। दूसरे नंबर पर बसपा के अनिल कुमार मौर्य रहे। अनिल को कुल 1 लाख 99 हज़ार 216 वोट मिले। तीसरे नंबर पर बीजेपी के अनुराग सिंह रहे। अनुराग को कुल 1 लाख 19 हज़ार 686 वोट मिले।

एक नजर 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर 
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2004 के लोकसभा चुनाव में बसपा से नरेंद्र कुमार कुशवाहा यहां से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। नरेंद्र को कुल 2 लाख 1 हज़ार 942 वोट मिले। दूसरे नंबर पर बीजेपी से बीरेंद्र सिंह रहे। बीरेंद्र को कुल 1 लाख 65 हज़ार 530 वोट मिले। तीसरे नंबर पर सपा से शारदा प्रसाद रहे। शारदा को कुल 1 लाख 58 हज़ार 11 वोट मिले।

अनुप्रिया पटेल जीत की हैट्रिक लगा पाएंगी  ?
फूलन देवी को सांसद बनाने वाली इस मिर्जापुर लोकसभा सीट का इतिहास बेहद रोचक रहा है। इस सीट पर अब तक कुल 5 नेताओं को दो-दो बार जीत मिली है, लेकिन आज तक कोई भी सांसद यहां से तीसरी बार जीत कर संसद नहीं पहुंचा है। अगर मिर्जापुर लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो इस सीट पर पिछड़े वर्ग की जनसंख्या तकरीबन 49 फीसदी है और वो यहां की राजनीति में एक बड़ा किरदार अदा करते हैं। इसके अतिरिक्त इस सीट पर कुर्मी समाज को भी बेहद निर्णायक माना जाता है। एन डी ए गठबंधन में यह सीट भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल सोनेलाल के खाते में गई है। जहां से केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरेंगी तो वहीं सपा ने मिर्जापुर से राजेंद्र एस बिंद को टिकट दिया है। देखना दिलचस्प होगा कि क्या मिर्जापुर से अनुप्रिया पटेल जीत की हैट्रिक लगा पाएंगी  ?  या इस बार मिर्जापुर की लोकसभा सीट पर विपक्ष का सितारा चमकेगा ?

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