मुख्तार के विधायक बेटे अब्बास की गिरफ्तारी पर 27 अप्रैल तक लगी रोक, HC का यूपी सरकार से जवाब-तलब

Edited By Mamta Yadav,Updated: 30 Mar, 2022 12:31 PM

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बाहुबली विधायक रहे मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की गिरफ्तारी पर मंगलवार को रोक लगा दी। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक जनसभा के दौरान एक विवादित बयान देने पर अंसारी के खिलाफ चार मार्च को एफआईआर दर्ज की गई थी।

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बाहुबली विधायक रहे मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की गिरफ्तारी पर मंगलवार को रोक लगा दी। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक जनसभा के दौरान एक विवादित बयान देने पर अंसारी के खिलाफ चार मार्च को एफआईआर दर्ज की गई थी। न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति विकास के. श्रीवास्तव की पीठ ने अब्बास अंसारी द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। अंसारी ने एफआईआर को चुनौती दी थी और इस मामले में अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने का अनुरोध किया था।

याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि तीन मार्च को चुनावी सभा के दौरान अब्बास अंसारी के भाषण को संज्ञान में लेते हुए चुनाव आयोग ने चार मार्च को एक आदेश पारित कर अंसारी को किसी भी जनसभा, रैली आदि करने से प्रतिबंधित कर दिया था। इस आदेश में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने याचिकाकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 171 एफ और 506 के तहत एफआईआर दर्ज किए जाने की जानकारी दी थी। याचिकाकर्ता के संज्ञान में आया कि जांच के दौरान स्थानीय पुलिस आईपीसी की 153ए और 120बी जैसी और गंभीर धाराएं जोड़कर उन्हें गिरफ्तार करने का प्रयास कर रही है।
अब्बास के वकील ने कहा कि किसी भी समय चुनाव आयोग ने याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने का कोई निर्देश नहीं दिया या सिफारिश नहीं की। आईपीसी की धारा 153ए याचिकाकर्ता की केवल गिरफ्तारी सुनिश्चित करने के लिए जोड़ी गई है।

उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता मऊ विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित विधायक है और वह अपने पद की शपथ ना ले सके, इसलिए उसे निशाने पर लिया जा रहा है। अदालत ने राज्य सरकार से अब्बास की याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का समय देते हुए अब्बास अंसारी की गिरफ्तारी पर 27 अप्रैल, 2022 तक के लिए रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि सुनवाई की अगली तारीख तक याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। अदालत ने यह भी कहा कि वह जांच में सहयोग करने के लिए बाध्य होंगे और यदि सहयोग नहीं करते हैं तो प्रतिवादी इस अंतरिम आदेश को हटाने के लिए अदालत से संपर्क कर सकेंगे।

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