अयोध्या में राम मंदिर ट्रस्ट को लेकर बढ़ी बेचैनी, SC द्वारा दी अवधि 2 सप्ताह बाद खत्म

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 25 Jan, 2020 05:38 PM

discomfort over ram temple trust in ayodhya struggle for getting space

सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या विवाद के फैसले के बाद से राम मंदिर निर्माण को लेकर बनाए जाने वाली ट्रस्ट की चर्चा शुरू हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार को ट्रस्ट निर्माण के लिए 3 महीने की जो समय सीमा निर्धारित की थी। वह 2...

अयोध्याः सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या विवाद के फैसले के बाद से राम मंदिर निर्माण को लेकर बनाए जाने वाली ट्रस्ट की चर्चा शुरू हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार को ट्रस्ट निर्माण के लिए 3 महीने की जो समय सीमा निर्धारित की थी। वह 2 सप्ताह बाद बीत जाएगी, लेकिन अभी तक राम मंदिर निर्माण और व्यवस्था को लेकर गठित होने वाले ट्रस्ट और उसमें शामिल किए जाने वाले ट्रस्टीज को लेकर अटकलों का दौर ही जारी है।

ट्रस्ट बनाने की समय अवधि करीब आने के साथ ही अयोध्या में इसको लेकर बेचैनी बढ़ गई है। राम मंदिर आंदोलन से जुड़े पक्ष हो या फिर अयोध्या के आम साधु संत, कभी केंद्र सरकार से शीघ्र अतिशीघ्र राम मंदिर ट्रस्ट की घोषणा करने की मांग कर रहे हैं और यह सुझाव भी दे रहे हैं कि ईमानदार लोगों और राम मंदिर आंदोलन में जिसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उसका नाम भी ट्रस्ट में शामिल किया जाए।

इन्हीं में एक नाम है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जिनकी गुरु महंत अवैद्यनाथ में राम मंदिर आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाई थी, लेकिन कभी विश्व हिंदू परिषद में अशोक सिंघल के बाद महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालने वाले प्रवीण भाई तोगड़िया साफ-साफ कह रहे हैं कि नए ट्रस्ट में ऐसे लोगों को शामिल न किया जाए। जो सक्रिय रुप से राजनीति में शामिल हो, ऐसे लोगों को शामिल कर के राम मंदिर ट्रस्ट को राजनीति का अखाड़ा ना बनाया जाए। बात यही समाप्त नहीं होती है राम मंदिर मुकदमे में पक्षकार रहे महंत धर्मदास तो साफ-साफ कहते हैं कि उनका नाम तो ट्रस्ट में होना ही चाहिए अगर ऐसा नहीं हुआ तो कानून का दरवाजा खुला है यानि सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद भी राम मंदिर निर्माण की राह में अभी कई उलझन बाकी है जिसको राम मंदिर निर्माण के पहले सुलझाना ही होगा।

राम मंदिर आंदोलन में विश्व हिंदू परिषद की तरफ से अशोक सिंघल के बाद कभी नंबर दो की हैसियत रखने वाले प्रवीण भाई तोगड़िया हो या फिर अयोध्या के स्थानीय संत कभी एक आवाज उठाते है और वह आवाज है। सक्रिय राजनीति में भागीदारी रखने वाले लोगों को राम मंदिर ट्रस्ट में ना शामिल करना हालांकि कुछ संत ऐसे भी हैं, जो राम मंदिर आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ के शिष्य और यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को ट्रस्ट में शामिल किए जाने की पुरजोर वकालत करते हैं, लेकिन राजनेता या मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं एक संत के रूप में।

केंद्र सरकार द्वारा राम मंदिर निर्माण और उसकी व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित करने के लिए गठित किए जाने वाले ट्रस्ट में स्थान पाने की जद्दोजहद भी चल रही है कुछ पर्दे के पीछे और कुछ सामने। राम मंदिर आंदोलन से जुड़े और पक्षकार रहे महंत धर्मदास तो साफ तौर पर चेतावनी दे रहे हैं कि अगर उनका नाम ट्रस्ट में मुख्य रूप से शामिल ना किया गया तो कानून के दरवाजे खुले हैं। यानी राम मंदिर निर्माण से पहले गठित होने वाले ट्रस्ट के बाद कई विवाद सतह पर आ सकते हैं और इसका समाधान निकालना भी एक चुनौती होगी। 

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