IAS अनुराग तिवारी की मौत के मामले में अदालत ने खारिज की CBI की क्लोजर रिपेार्ट

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 28 Aug, 2020 09:59 AM

court dismisses cbi closure report in ias anurag tiwari s death case

सीबीआई की विशेष अदालत ने कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी की संदेहास्पद परिस्थितियों में हुई मौत के मामले में सीबीआई द्वारा दाखिल क्लोजर रिपोर्ट को बृहस्पतिवार को खारिज करते हुए मामले की अग्रिम विवेचना करने का आदेश दिया है। अदालत ने...

लखनऊः सीबीआई की विशेष अदालत ने कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी की संदेहास्पद परिस्थितियों में हुई मौत के मामले में सीबीआई द्वारा दाखिल क्लोजर रिपोर्ट को बृहस्पतिवार को खारिज करते हुए मामले की अग्रिम विवेचना करने का आदेश दिया है। अदालत ने क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती देने वाली विरोध (प्रोटेस्ट) याचिका में उठाए गए सवालों के आधार पर सीबीआई को यह अग्रिम विवेचना करने को कहा है। सीबीआई के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट सुब्रत पाठक ने यह आदेश मृतक अनुराग तिवारी के भाई मंयक तिवारी की अर्जी पर पारित किया है।

अदालत ने सीबीआई को 30 सितंबर को प्रगति रिपोर्ट भी दाखिल करने का निर्देश दिया है। सीबीआई ने 19 फरवरी, 2019 को क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करते हुए आईएएस अनुराग की मौत को अचानक सड़क पर गिरने से होना बताया था, और रिपोर्ट में कहा था कि उनकी मौत की जांच में हत्या अथवा आत्महत्या का कोई साक्ष्य नहीं मिला है। लिहाजा क्लोजर रिपोर्ट मंजूर की जाए। सीबीआई की इस क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती देते हुए अनुराग के भाई मंयक तिवारी ने 16 सितंबर, 2019 को अदालत में प्रोटेस्ट अर्जी दाखिल की। उनकी अर्जी पर वकील नूतन ठाकुर ने बहस की।

उनका कहना था कि सीबीआई ने अपनी विवेचना में कई महत्वपूर्ण बिन्दूओं की अनदेखी की है। लिहाजा इसे निरस्त कर किसी एसपी (पुलिस अधीक्षक) स्तर के अधिकारी से इसकी विवेचना कराई जाए। वकील नूतन ठाकुर का तर्क था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए सीबीआई का यह कहना कि अनुराग की मौत स्वतः गिरने (एस्फिक्सीया) से हुई है, सरासर गलत है। क्योंकि जिस प्रकार वह गिरे और जिस प्रकार दम घुटने से उनकी मौत बताई जा रही है, वह मात्र हत्या की स्थिति में हो सकता है। अनुराग के शरीर की जो स्थिति थी, उससे दुर्घटना का कारण प्रमाणित नहीं होता है।

उन्होंने कहा कि सीबीआई का यह दावा कि अनुराग का पेट खराब था। उन्हें डायरिया हुआ था, भी गलत है क्योंकि उनके पेट में भोज्य पदार्थ मिला है। यह भी तर्क दिया गया कि सीबीआई ने अनुराग के लैपटाप को यह कहते हुए नहीं देखा कि उसका पासवर्ड नहीं मिला। जबकि सीबीआई चाहती, तो उसे किसी भी एक्सपर्ट के मार्फत खोल सकती थी, लेकिन इसका प्रयास नहीं किया गया। गौरतलब है कि 17 मई, 2017 की सुबह राजधानी के पॉश इलाके मीराबाई मार्ग पर सड़क किनारे अनुराग तिवारी की लाश मिली थी। वो दो दिन से स्टेट गेस्ट हाउस में ठहरे थे। मयंक तिवारी ने 25 मई, 2017 को अपने आईएएस भाई अनुराग तिवारी की मौत के इस मामले में थाना हजरतगंज में हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उन्होंने एफआईआर में किसी को नामजद नहीं किया था बाद में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी। 
 

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