मुठभेड़ में मारे गये आतंकी सैफुल्लाह के दो साथियों को कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा सुनाई

Edited By Ramkesh,Updated: 14 Sep, 2023 06:44 PM

court awarded death sentence to two associates of terrorist

Lucknow News भारत की अखंडता, एकता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने और प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के सदस्य आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल को एटीएस/एनआईए के विशेष न्यायाधीश दिनेश कुमार मिश्रा ने फांसी की सजा सुनाई है। बता दें कि...

लखनऊ: भारत की अखंडता, एकता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने और प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के सदस्य आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल को एटीएस/एनआईए के विशेष न्यायाधीश दिनेश कुमार मिश्रा ने फांसी की सजा सुनाई है। बता दें कि NIA की स्पेशल कोर्ट ने 11 सितंबर को दोषी करार दिया था। दरअसल,  24 अक्टूबर 2016 को रमेश बाबू नाम के शख्स को स्कूल से वापस आते समय आतंकियों ने गोली मार दी थी  उन्हें अस्पताल ले जाया गया कहा उनकी मृत्यु हो गई थी। मृतक के बेटे ने अक्षय शुक्ला ने कानपुर के चकेरी थाने में 24 अक्टूबर 2016 को दर्ज कराई थी। रिपोर्ट दर्ज करवाकर बताया गया था की वादी के पिता रमेश बाबू शुक्ल स्वामी आत्मा प्रकाश ब्रह्मचारी जूनियर हाई स्कूल में तीस सालो से टीचर है। इनकी हत्या सिफ इस लिए आतंकियों ने की क्यों वो हाथ हिन्दू थे।

इस मामले को सरकार ने यूपीएटीएस को सौंप दिया था।    
इसी के बाद 7 मार्च 2017 को एटीएस सूचना मिली कि उज्जैन ट्रेन ब्लास्ट की साजिश में शामिल रहा इस्लामिक स्टेट का आतंकी काकोरी रोड के पास एक मकान में रह रहा है। सूचना पर एटीएस और पुलिस ने दबिश दिया जहां मुठभेड़ के बाद आतंकी सैफुल्लाह पुलिस की गोली से मारा गया। इस दौरान एटीएस को सैफुल्लाह के घर से काफी मात्रा में हथियार,गोला बारूद के साथ ही आपत्तिजनक समान मिला था। जिस पर मामले की विवेचना एनआईए को सौंपी गई थी, विवेचना के दौरान एनआईए को पता चला कि सैफुल्लाह के घर से जो हथियार बरामद हुए थे। उनका प्रयोग कानपुर के शिक्षक की हत्या समेत अन्य अपराध में भी हुआ है।

यूपी एटीएस ने मामले का  किया था खुलासा
यूपीएटीएस ने बताया कि आइएस आइएस की तंजीम से बहुत प्रभावित थे और सभी ने जाजमऊ टीले पर दीन और इस्लाम के लिए कुछ करने और जेहाद करने की क़सम ली थी। इन कट्टरपंथियों ने ख़लीफ़ा की क़सम भी ली थी कि ये सभी ख़लीफ़ा के हुक्म की तामील करेंगे और ख़लीफ़ा की हुक्मउदुली नहीं करेंगे। ये सारे कट्टरपंथी इस बात पर विश्वास करते थे की ख़लीफ़ा की दिखाई राह पर चलकर उन्हें जन्नत मिलेगी और जन्नत में उनके स्वागत के लिए हूरे मौजूद रहेंगी। इसी वजह से कानपुर में टीचर की हत्या की थी। फिलहाल लम्बी लड़ाई के बाद NIA की स्पेशल कोर्ट ने दोनो फांसी की सजा सुनाई है।

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