एक IAS समेत 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज केस 24 घंटे में खत्म, एसपी बोले- गलत तथ्यों के आधार पर दर्ज हुआ था मुकदमा

Edited By Ramkesh,Updated: 29 Nov, 2024 02:46 PM

case registered against 18 policemen including an ias

तीन साल पहले वसूली की लिस्ट प्रसारित करने के बाद सिपाही को बर्खास्त कर जेल भेजने के मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट स्वप्न आनंद के आदेश पर चंदौली के तत्कालीन एसपी सहित 18 पुलिसकर्मियों पर दर्ज मुकदमा 24 घंटे के भीतर ही खत्म कर दिया गया। एसपी ने...

गाजीपुर: तीन साल पहले वसूली की लिस्ट प्रसारित करने के बाद सिपाही को बर्खास्त कर जेल भेजने के मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट स्वप्न आनंद के आदेश पर चंदौली के तत्कालीन एसपी सहित 18 पुलिसकर्मियों पर दर्ज मुकदमा 24 घंटे के भीतर ही खत्म कर दिया गया। एसपी ने बताया कि गलत तथ्यों के आधार पर मुकदमा दर्ज कराया गया था। तत्कालीन चंदौली एसपी मौजूदा समय में अलीगढ़ पीएसी की 45वीं बटालियन में कमांडेंट हैं।

अवैध धन उगाही की कांस्टेबल ने की थी शिकायत
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, वाराणसी के भुल्लनपुर की शिव शंकर कॉलोनी में रहने वाले बर्खास्त हेड कांस्टेबल अनिल सिंह ने 2022 में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156(3) के तहत एक आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी। सिंह का आरोप था कि चंदौली के पुलिस अधीक्षक समेत वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और चंदौली कोतवाली के अन्य पुलिसकर्मी हर महीने जनता से 12.5 लाख रुपये की उगाही कर रहे हैं और वे यह रकम आपस में बांटते हैं। इस दावे की जांच पुलिस उपमहानिरीक्षक (सतर्कता) लव कुमार द्वारा की गई जिसमें आरोप सही पाए गए।

भ्रष्ट्रचार की शिकायत करने पर पुलिस अधीक्षक हेड कांस्टेबल  को किया था बर्खास्त
इस खुलासे से क्रोधित चंदौली के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने 28 फरवरी 2021 को अनिल सिंह को बर्खास्त कर लिया। सिंह ने यह भी दावा किया कि भ्रष्टाचार उजागर करने वाले कई लोगों की हत्या कर दी गई है। सिंह ने पांच सितंबर 2021 को अपनी शिकायत में यह आरोप भी लगाया कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अमित कुमार और ‘स्वाट' टीम के निरीक्षक राजीव कुमार सिंह, सर्विलांस प्रभारी निरीक्षक अजित कुमार सिंह, थानेदार (एसएचओ) सत्येंद्र विक्रम सिंह सहित पुलिस अधिकारियों के एक समूह ने गाजीपुर के बधरा में उनके ससुराल से उनका अपहरण कर लिया।

हेड कांस्टेबल के खिलाफ फर्जी मुकदमा किया दर्ज
आरोप है कि ये अधिकारी उनकी हत्या करने के इरादे से बिना नंबर प्लेट वाली कार में सादे कपड़ों में वहां पहुंचे थे। हालांकि, सिंह की बेटी खुशबू सिंह ने किसी तरह पुलिस को संपर्क किया और नंदगंज थाने के एसएचओ को इसकी सूचना दी जिससे उनकी जान बच सकी। सिंह का दावा है कि दो दिनों तक अवैध रूप से हिरासत में रहने के बाद उन्हें एक फर्जी मामले में फंसाया गया और सात सितंबर 2021 को चंदौली के बबुरी थाने में एक फर्जी मामला दर्ज किया गया।

अदालत के आदेश पर 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस
सिंह ने गाजीपुर में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत आवेदन दाखिल किया और साक्ष्य पर गौर करने के बाद अदालत ने 21 सितंबर 2024 को इन आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश जारी किया। अदालत ने इस मामले की ठीक से जांच करने का भी आदेश दिया। अदालत के आदेश के दो महीने बाद 27 नवंबर 2024 को गाजीपुर के नंदगंज थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 147 (दंगा), 219 (सरकारी कर्मी द्वारा कानून नहीं मानना), 220 (गलत तरीके से हिरासत में लेना), 364 (अपहरण), 389 (वसूली), 467 (धोखाधड़ी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से फर्जीवाड़ा), 471 (फर्जी दस्तावेजों का उपयोग) और 120बी (आपराधिक षड़यंत्र) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। इस प्राथमिकी में निरीक्षक राजीव कुमार सिंह, निरीक्षक अजित कुमार सिंह, आईपीएस अधिकारी अमित कुमार और चंदौली एवं अन्य जिलों में तैनात अन्य पुलिसकर्मियों को नामजद किया गया था।

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