दीपोत्सव के पोस्टर से दोनों डिप्टी सीएम बाहर.... संयोग या साजिश! अखिलेश यादव ने पूछा CM योगी से सवाल, ‘भाजपा में सब ठीक नहीं’

Edited By Mamta Yadav,Updated: 20 Oct, 2025 03:00 AM

both deputy chief ministers are omitted from the deepotsav posters

अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम एक बार फिर राजनीति के केंद्र में आ गया है। इस बार बहस का मुद्दा है, उत्तर प्रदेश के दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक का दीपोत्सव के आधिकारिक पोस्टरों से गायब होना। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश...

Lucknow News: अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम एक बार फिर राजनीति के केंद्र में आ गया है। इस बार बहस का मुद्दा है, उत्तर प्रदेश के दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक का दीपोत्सव के आधिकारिक पोस्टरों से गायब होना। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस "चूक" को साजिश बताते हुए भाजपा सरकार पर तीखा प्रहार किया है।

भाजपा में सिर्फ सीएम की ही चलती है...अखिलेश का कटाक्ष
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी प्रतिक्रिया में अखिलेश यादव ने सवाल किया है, "अयोध्या में दीपोत्सव का इतना भव्य आयोजन हो रहा है, करोड़ों खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन सरकार के दो डिप्टी सीएम को पोस्टर से बाहर क्यों रखा गया? क्या भाजपा में अब डिप्टी सीएम का पद खत्म हो गया है?" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी के भीतर सत्ता संघर्ष चरम पर है, और यह पोस्टर उसी का संकेत है। अखिलेश ने कटाक्ष किया, अब भाजपा में सिर्फ सीएम की ही चलती है। जो उनकी बात नहीं मानेगा, वो पोस्टर से बाहर हो जाएगा।"

सत्ता का संकेत या महज संयोग?
इस मसले पर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज़ हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह भाजपा की अंदरूनी खींचतान का संकेत हो सकता है, जबकि अन्य इसे एक साधारण प्रशासनिक निर्णय बता रहे हैं। भाजपा के प्रवक्ताओं ने अखिलेश यादव के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि,  "सरकारी आयोजनों के पोस्टर में किसका फोटो लगाया जाए, यह प्रशासनिक निर्णय होता है। इसे लेकर राजनीति करना अनुचित है।"

अयोध्या में राजनीति की आंच
गौरतलब है कि दीपोत्सव जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन में इस तरह की राजनीति पहले भी देखने को मिल चुकी है। लेकिन इस बार डिप्टी सीएम की गैरमौजूदगी ने राजनीतिक पारा और चढ़ा दिया है। अब देखना यह है कि क्या भाजपा इस मुद्दे पर कोई सफाई देती है या इसे यूं ही टाल देती है। क्या यह कोई संकेत है आगामी राजनीतिक समीकरणों का या फिर महज एक चूक?

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