Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 21 Dec, 2019 11:29 AM
संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में हिंसा के कुछ दिनों बाद परिसर स्थित जवाहरलाल नेहरु अस्पताल के ट्रामा सेंटर में अब भी चार छात्र भर्ती हैं और उनमें से एक का हाथ कट गया था। यह जानकारी एक चिकित्सक ने दी...
अलीगढ़ः संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में हिंसा के कुछ दिनों बाद परिसर स्थित जवाहरलाल नेहरु अस्पताल के ट्रामा सेंटर में अब भी चार छात्र भर्ती हैं और उनमें से एक का हाथ कट गया था। यह जानकारी एक चिकित्सक ने दी।
पीएचडी छात्र मोहम्मद तारिक का इलाज ट्रामा सेंटर में चल रहा है। तारिक ने कहा, ‘‘मैं इस तथ्य के आगे कुछ भी नहीं कहना चाहता कि मैंने अपना हाथ गंवा दिया है।'' अन्य छात्रों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे एएमयू छात्रों के खिलाफ बेरहमी से कार्रवाई की। पुलिस ने यद्यपि कहा कि अनियंत्रित प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर पथराव किया।
पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए उसे लाठीचार्ज करना पड़ा। एएमयू के कुलपति तारिक मंसूर ने कहा कि उन्हें परिसर में तब पुलिस बुलानी पड़ी जब ‘‘हजारों की नाराज भीड़'' भीतर एकत्रित हो गई। उन्होंने रविवार की हिंसा के बाद एक खुले पत्र में कहा कि भीड़ से छात्रों की जान और विश्वविद्यालय सम्पत्ति को ‘‘आसन्न खतरा'' था। यद्यपि उन्होंने पुलिस द्वारा ‘‘असंयम तरीके से कार्रवाई'' की भी शिकायत की। ट्रामा सेंटर में भर्ती स्नातक छात्र मोहम्मद ताजीन (19) ने आरोप लगाया कि उसे और कई अन्य को पुलिस की ‘‘बेरहम कार्रवाई'' का सामना करना पड़ा। ताजीन ने कहा कि उसे एएमयू गेस्ट हाउस नम्बर तीन से बाहर खींचा गया, वहां पीटा गया और फिर मलखान सिंह अस्पताल में पीटा गया ‘‘जहां हम जैसे करीब 20 छात्रों को पुलिस वैन में कथित तौर पर इलाज के लिए ले जाया गया था।''
ताजीन ने कहा कि वह छात्रों के उस समूह का हिस्सा था जो दिल्ली में जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ एकजुटता जताने के लिए रविवार रात में बाब-ए-सैयद गेट के पास परिसर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहा था। ताजीन ने कहा कि छात्र तब गेस्ट हाउस में घुसे जब पुलिस ने ‘स्टन ग्रेनेड' और आंसू गैसे के गोले छोड़े। पुलिस ने छात्रों का पीछा किया और उसे और चार अन्य छात्रों को बाहर खींच लिया। ताजीन ने आरोप लगाया छात्रों को मलखान सिंह अस्पताल में कथित तौर पर पीटा गया।
ताजीन ने आरोप लगाया कि उन्हें पानी देने से इनकार कर दिया गया और पुलिसकर्मियों ने कहा कि वे ‘‘राष्ट्रविरोधी'' हैं और उन्हें पाकिस्तान भेज दिया जाना चाहिए। ताजीन ने आरोप लगाया कि अगली सुबह एक वरिष्ठ चिकित्सक मलखान सिंह अस्पताल पहुंचे और उसके हाथ पर प्लास्टर लगाया गया तथा पुलिसकर्मियों की आपत्तियों के बावजूद उसे और अन्य को जवाहरलाल नेहरु मेडिकल कालेज एवं अस्पताल भेज दिया गया। जवाहरलाल नेहरु मेडिकल कालेज एवं अस्पताल के ट्रामा सेंटर में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. इतिशाम ने कहा कि अधिकतर छात्रों को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई। उन्होंने कहा कि चार छात्रों का वहां अब भी इलाज चल रहा है। एएमयू कुलपति तारिक मंसूर ने हाल में अस्पताल का दौरा किया। उन्होंने कहा, ‘‘हम गंभीर रूप से चोटिल सभी मामलों को देख रहे हैं।''
उन्होंने कहा कि तारिक को देश में कहीं भी या विदेश में भी सर्वश्रेष्ठ इलाज मुहैया कराया जाएगा जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि वह सामान्य जीवन जी सके। उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस द्वारा असंयम तरीके से कार्रवाई की रिपोर्ट मुझ तक पहुंची है और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि ऐसी सभी शिकायतों की जांच सक्षम प्राधिकारी द्वारा की जाए।'' एएमयू के छात्र उस कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे जो तीन पड़ोसी देशों में धार्मिक प्रताड़ना का सामना करने वाले उन हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, ईसाइयों और जैनों को भारतीय नागरिकता प्रदान करता है जिन्होंने 2015 से पहले देश में प्रवेश किया। इस सूची में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है।