रंगभरी एकादशी पर काशी का अद्भुत नजारा: जलती चिताओं के बीच भस्म से खेली गई होली

Edited By Mamta Yadav,Updated: 03 Mar, 2023 10:26 PM

amazing view of kashi on rangbhari ekadashi holi played with ashes amidst

पुरे देश में रंगो और गुलालों से होली खेली जाती हैं तो वहीं भोले की नगरी काशी में चिता की राख के साथ होली खेली जाती हैं। जो पुरे विश्व में सिर्फ काशी में मनाई जाती है। क्योंकि काशी में मान्यता है कि भगवान शंकर चिता भस्म की होली महशमसान में खेलते है।...

वाराणसी: पुरे देश में रंगो और गुलालों से होली खेली जाती हैं तो वहीं भोले की नगरी काशी में चिता की राख के साथ होली खेली जाती हैं। जो पुरे विश्व में सिर्फ काशी में मनाई जाती है। क्योंकि काशी में मान्यता है कि भगवान शंकर चिता भस्म की होली महशमसान में खेलते है। इसलिए काशी के साधु संत और आम जनता भी महाश्मशान मणिकार्णिका में चिता भस्म की होली खेलते नजर आये।
PunjabKesariरंगभरी एकादशी के दिन ये यहाँ आकर बाबा मशान नाथ की आरती कर चिता से राख की होली शुरू करते हैं। ढोल और डमरू के साथ पूरा ये श्मशान हर-हर महादेव के उद्घोष से गुंजायमान होता हैं। एकादशी के साथ ही जहां होली की शुरुआत बाबा विश्वनाथ के दरबार से हो जाती है, जब माता पार्वती को गौना कराकर लौटते हैं, लेकिन उसके अगले ही दिन बाबा विश्वनाथ काशी में अपने चहेतों जिन्हें शिवगण भी कहा जाता है और अपने चेलों भुत-प्रेत के साथ होली खेलते हैं। ये होली कुछ मायने में बेहद खास होती है क्योंकि ये होली केवल चीता भस्म से खेली जाती है। चूँकि बाघम्भर शिव को भस्मअति प्रिय है और हमेशा शरीर में भस्म रमाये समाधिस्थ रहने वाले शिव की नगरी काशी में श्मशान घाट पर चीता भस्म से होली खेली जाती है।
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मान्यता है कि ये शदियों पुरानी प्रथा काशी में चली आ रही है। ये होली काशी में मसाने की होली के नाम से जानी जाती है और पुरे विश्व में केवल काशी में खेली जाती है। मसान की इस होली में रंग की जगह राख होती हैं और इस होली के खेलने वाले शिव गण जिन्हें ऐसा प्रतीत होता हैं की भगवान शिव उनके साथ होली खेलते हैं और इस राख से तारक मंत्र प्रदान करते हैं।

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