मकर संक्रांति के दिन यहां लगता है आशिकों का मेला, अपने प्यार को पाने के लिए दी थी जान की कुर्बानी

Edited By Prashant Tiwari,Updated: 15 Jan, 2023 05:16 PM

a fair of lovers is held here on the day of makar sankranti

मकर संक्रांति का पर्व यूं तो देश के हर हिस्से में मनाया जाता है लेकिन बुन्देलखण्ड के बांदा में मकर संक्राति के मौके पर केन नदी के किनारे भूरागढ़ दुर्ग में आशिकों का मेला लगता है। इसका कारण है अपने प्यार को पाने की चाहत में अपने प्राणों कि बलि देने...

बांदा (जफर अहमद) : मकर संक्रांति का पर्व यूं तो देश के हर हिस्से में मनाया जाता है लेकिन बुन्देलखण्ड के बांदा में मकर संक्राति के मौके पर केन नदी के किनारे भूरागढ़ दुर्ग में आशिकों का मेला लगता है। इसका कारण है अपने प्यार को पाने की चाहत में अपने प्राणों कि बलि देने वाले नट महाबली को प्रसन्न करना। क्षेत्र के लोगों कि ऐसी मान्यता है कि अगर आप इस दिन अपने प्यार को पाने या बरकरार रखने कि कामना से विधिवत पूजा अर्चना कर प्रार्थना करते है तो आप का प्यार हमेशा आप के साथ रहेगा।  

PunjabKesari

मकर संक्रांति के दिन लगता है मेला
मकर संक्रांति के दिन बांदा शहर के किनारे केन नदी के उस पार बने भूरागढ़ दुर्ग के नीचे हज़ारो लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता है और किले की प्राचीर की नींव पर ही एक मंदिर अचानक आस्था के केंद्र में बदल जाता है। ये नट महाबली का मन्दिर है। यह वो मंदिर है जहां आने वालो की हर मन्नत पूरी होने की मान्यता है। इस मंदिर में विराजमान नटबाबा भले इतिहास में दर्ज न हो लेकिन बुन्देलियों के दिलो में नटबाबा के बलिदान की अमिट छाप है। ये जगह आशिको के लिए किसी इबादतगाह से कम नहीं है। मकर संक्रांति के मौके पर शादीशुदा जोड़े यहां आशीर्वाद लेने आते हैं तो सैकड़ो प्रेमी-प्रेमिकाएं अपने मनपसंद साथी के लिए यहां मन्नत मांगते हैं।

PunjabKesari

प्रेम को पाने के लिए रखा गया शर्त
मान्यता है कि 600 वर्ष पूर्व महोबा जनपद के सुगिरा के रहने वाले नोने अर्जुन सिंह भूरागढ़ दुर्ग के किलेदार थे। यहां से कुछ दूर मध्यप्रदेश के सरबई गांव के एक नट जाति का 21 वर्षीय युवा बीरन किले में ही नौकर था। किलेदार की बेटी को इसी नट बीरन से प्यार हो गया और उसने अपने पिता से इसी नट से विवाह की जिद की लेकिन किलेदार नोने अर्जुन सिंह ने बेटी के सामने शर्त रखी कि अगर बीरन नदी के उस पार स्थित बांबेश्वर पर्वत से किले तक सूत (कच्चा धागे की रस्सी) पर चढ़कर नदी पार कर किले तक आ जाएगा तो उससे उसकी शादी करा दी जाएगी। प्रेमी नट ने ये शर्त स्वीकार कर लिया और मकर संक्रांति के दिन प्रेमी नट सूत पर चढ़कर किले तक जाने लगा। प्रेमी नट ने सूत पर चलते हुए नदी पार कर ली लेकिन जैसे ही वह भूरागढ़ दुर्ग के पास पहुंचा किलेदार नोने अर्जुन सिंह ने किले की दीवार से बंधे सूत को काट दिया और नट बीरन ऊंचाई से चट्टानों पर गिर गया और उसकी मौत हो गई। किले की खिड़की से किलेदार की बेटी ने जब अपने प्रेमी की मौत का मंजर देखा तो वह भी किले से कूद गयी और उसी चट्टान में उसकी भी मौत हो गई। जिसके बाद किले के नीचे ही दोनों प्रेमी युगल की समाधि बना दी गई। जो बाद में मंदिर में बदल गया। आज ये नट महाबली का सिद्ध मंदिर माना जाता है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!