17 साल बाद महाठग पति-पत्नी गिरफ्तार, भोलेभाले लोगों को बनाते थे अपना शिकार.... लाखों लूटकर बना ली नई कंपनी

Edited By Anil Kapoor,Updated: 16 Aug, 2024 09:24 AM

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Lucknow News: उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने नौकरी के नाम पर लाखों रुपये की ठगी कर करीब 17 सालों से फरार कुल एक लाख रुपये के इनामी दम्पति को गुरुवार को गुजरात के अहमदाबाद से गिरफ्तार कर लिया। एसटीएफ सूत्रों ने यहां बताया कि...

(अश्वनी कुमार सिंह)Lucknow News: उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने नौकरी के नाम पर लाखों रुपये की ठगी कर करीब 17 सालों से फरार कुल एक लाख रुपये के इनामी दम्पति को गुरुवार को गुजरात के अहमदाबाद से गिरफ्तार कर लिया। एसटीएफ सूत्रों ने यहां बताया कि प्रयागराज से लगभग 17 वर्ष पहले फरार हुए 50-50 हजार रुपये के इनामी दम्पति अमित श्रीवास्तव और शिखा श्रीवास्तव को अहमदाबाद के वेजलपुर क्षेत्र स्थित शिवान्ता अपार्टमेन्ट से गिरफ्तार किया गया। उनके अनुसार दोनों 2007 में प्रयागराज के जार्जटाउन थाने में धोखाधड़ी तथा अन्य आरोपों में दर्ज एक मुकदमे में वांछित हैं।

इनामी ठग दम्पति गुजरात से गिरफ्तार
सूत्रों के अनुसार एसटीएफ को सूचना मिली थी कि अमित और शिखा अहमदबाद में छिपकर रह रहे हैं जिसके बाद उसकी टीम ने वहां पहुंचकर दोनों को गिरफ्तार कर लिया। सूत्रों के मुताबिक अमित ने पूछताछ में बताया है कि उसने 2007 में प्रयागराज के जार्जटाउन में 'इन्फोकान्स कन्सलटेन्टस प्राइवेट लिमिटेड' नामक एक कम्पनी खोली थी जिसमें वह खुद प्रबंध निदेशक और उसकी पत्नी शिखा सह निदेशक थी।

नौकरी के नाम पर करते थे ठगी
सूत्रों के अनुसार अमित ने पुलिस को बताया कि इस कम्पनी में लोगों से धन जमा कराकर ‘साफ्टवेयर डेवलपर' और इंजीनियर के पद पर नौकरी दी जाती थी। उन्हें वेतन के रूप में प्रतिमाह साढ़े आठ हजार रुपये दिये जाते थे। नौकरी पाने वाले हर व्यक्ति से 'सिक्योरिटी मनी' के रूप में 80 हजार से एक लाख रुपये तक जमा करा लिये जाते थे। सूत्रों के मुताबिक अमित ने पूछताछ में एसटीएफ को बताया कि नौकरी पाने वाले लोगों को 'सर्विस एग्रीमेन्ट' में तीन वर्ष तक कम्पनी में कार्य करने का बन्ध पत्र तथा तीन वर्ष बाद ‘सिक्योरिटी मनी' वापस करने के साथ-साथ 6 माह कार्य करने के बाद वेतन वृद्धि का आश्वासन भी दिया जाता था।

गिरफ्तार आरोपियों को अदालत में पेश करके ट्रांजिट रिमाण्ड की कार्यवाही की जाएगी
सूत्रों ने बताया कि 'सिक्योरिटी मनी' के तौर पर लाखों रुपये इकठ्ठा हो जाने पर वे सारा धन लेकर फरार हो गये थे और दिल्ली चले गये थे जहां कुछ दिन रहकर दोनों ने अपनी आपराधिक गतिविधियां चलायीं। उसके बाद वे छह-सात वर्षों से अहमदाबाद के शिवान्ता अपार्टमेन्ट में फ्लैट खरीद कर रह रहे थे। वहां उन्होंने जिमनी साफ्टवेयर के नाम से एक कम्पनी खोली, जो मेडिकल कार्य से सम्बन्धित साफ्टवेयर का काम करती है। साथ ही दुबई में उसका ‘वर्चुअल आफिस' भी है जहां पर 12-15 लोग काम करते हैं और विदेशों में मेडिकल कार्य से सम्बन्धित साफ्टवेयर की आपूर्ति भी करता है। सूत्रों ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों को अहमदाबाद के अपर जिला सत्र न्यायाधीश की अदालत में पेश करके ट्रांजिट रिमाण्ड की कार्यवाही की जाएगी।

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