5 साल बाद 'मृत' घोषित बेटी मिली जिंदा! नोएडा पुलिस का चौंकाने वाला खुलासा... परिवार में छाई खुशी

Edited By Anil Kapoor,Updated: 07 May, 2025 12:00 PM

daughter declared  dead  found alive after 5 years

Noida News: उत्तर प्रदेश में नोएडा के सेक्टर-49 थाना क्षेत्र से 5 साल पहले गायब हुई मां-बेटी को हाल ही में राजस्थान के जोधपुर से बरामद किया गया है। यह चौंकाने वाला खुलासा नोएडा पुलिस ने किया। साल 2020 में अवदेश शर्मा ने अपनी पत्नी मंजू और बेटी मानसी...

Noida News: उत्तर प्रदेश में नोएडा के सेक्टर-49 थाना क्षेत्र से 5 साल पहले गायब हुई मां-बेटी को हाल ही में राजस्थान के जोधपुर से बरामद किया गया है। यह चौंकाने वाला खुलासा नोएडा पुलिस ने किया। साल 2020 में अवदेश शर्मा ने अपनी पत्नी मंजू और बेटी मानसी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। हालांकि, लंबे समय तक कोई सुराग ना मिलने पर पुलिस ने मामले की अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी थी।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस बीच दिल्ली के शाहदरा इलाके में एक अज्ञात बच्ची का शव मिला, जिसे मंजू के ससुराल पक्ष ने पहचान कर मानसी बताया। लेकिन अवदेश ने इसे स्वीकार नहीं किया, और इस मामले में पुलिस ने बच्ची को मृत घोषित कर केस बंद कर दिया। दो साल बाद मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा, लेकिन फिर भी केस को बंद कर दिया गया।

एम-आधार ऐप ने खोला रास्ता
बताया जा रहा है कि अवदेश शर्मा ने अपनी बेटी की तलाश में उम्मीद नहीं छोड़ी। उन्होंने अपनी बेटी के बारे में जानकारी पाने के लिए एम-आधार ऐप का सहारा लिया। हाल ही में जब मंजू ने आधार में अपना पता बदलने की कोशिश की, तो अवदेश के मोबाइल पर OTP आया। इस संदिग्ध घटनाक्रम को देखते हुए अवदेश ने तुरंत नोएडा पुलिस को सूचना दी। नोएडा पुलिस की तकनीकी टीम ने आधार अपडेट से जुड़े मोबाइल नंबर और लोकेशन की जांच की और महज 10 दिनों में मां-बेटी को जोधपुर से सकुशल बरामद कर लिया। दोनों को सुरक्षित बरामद कर कोर्ट में पेश किया गया।

अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई
इस मामले में पुलिस कमिश्नर ने तत्कालीन थाना प्रभारी, जांच अधिकारी (IO) और एसीपी समेत पर्यवेक्षण अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश जारी किए हैं। अवदेश शर्मा ने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी मंजू कुछ लड़कों से ऐप के जरिए जुड़ी हुई थी, और इसके कारण वह घर छोड़कर चली गई थी। अवदेश ने नोएडा पुलिस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि यदि एम-आधार ऐप का सहारा ना होता, तो वह कभी अपनी बेटी से नहीं मिल पाता। तकनीकी सहायता और पुलिस की सक्रियता की बदौलत एक बिछड़ा हुआ परिवार फिर से एक साथ आ सका है।

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