Edited By Ramkesh,Updated: 04 Aug, 2025 12:44 PM

झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के संस्थापक शिबू सोरेन का आज इलाज के दौरान निधन हो गया है। उसके बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ पड़ी। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम योगी ने अखिलेश यादव मायावती सहित कई...
लखनऊ: झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के संस्थापक शिबू सोरेन का आज इलाज के दौरान निधन हो गया है। उसके बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ पड़ी। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम योगी ने अखिलेश यादव मायावती सहित कई नेताओं ने झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। सीएम योगी ने एक्स पर पोस्ट कर कहा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन जी का निधन अत्यंत दुःखद है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि! जनजातीय समाज के उन्नयन में उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को सद्गति एवं उनके शोकाकुल परिजनों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
इसी कड़ी में बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने शिबू सोरेन के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के संस्थापक एवं आदिवासी समाज के जाने-माने दिग्गज नेता शिबू सोरेन का आज इलाज के दौरान निधन हो जाने की ख़बर अति-दुखद। उनके पुत्र तथा वर्तमान में झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन व उनके परिवार के साथ-साथ उनके समस्त समर्थकों एवं अनुयाइयों के प्रति मेरी गहरी संवेदना। कु़दरत उन सबको इस दुख को सहन करने की शक्ति दे।
समाजवादी पार्टी के राट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, आदिवासी , वंचित समाज की बुलंद आवाज़, 'दिशोम गुरु' शिबू सोरेन जी का निधन, अत्यंत दु:खद! ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे। शोक संतप्त परिजनों के प्रति गहरी संवेदनाएं।
सोरेन का राजनीतिक सफर
झारखंड मुक्ति मोर्चो के संस्थापक सोरेन पृथक राज्य के आंदोलन में लगातार संघर्षरत रहे और वर्ष 2000 में अलग झारखंड राज्य का गठन हुआ। झारखंड में गरीबों के मसीहा कहे जाने वाले श्री सोरेन का जन्म रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में 11 जनवरी 1944 को हुआ था। उनके पिता सोबरन सोरेन शिक्षक थे लेकिन किसानी का काम भी करते थे। उनकी किसी ने हत्या कर दी थी जिसके कारण शिबू सोरेन को अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी और वह कम उम्र से ही गरीबों पर अत्याचार , अन्याय , नशाबंदी तथा महाजनी प्रथा के खिलाफ संघर्ष की राह पर निकल पड़े। उन्हें मजदूरी तक करनी पड़ी। उन्होंने सदियों से शोषित , पीड़ति आदिवासी समाज को जागरुक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
दुमका लोकसभा क्षेत्र से आठ बार सांसद रहे
झामुमो के संस्थापक और मौजूदा राज्यसभा सदस्य सोरेन 1980 से 2019 तक दुमका से सांसद या विधायक चुने जाते रहे। वह दुमका लोकसभा क्षेत्र से आठ बार सांसद तथा जामतारा से एक विधायक चुने गए। वह दो बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे। सोरेन तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में तीन बार कोयला एवं खान मंत्री भी रहे। पहली बार उन्हें 22 मई 2004 में केंद्रीय कोयला मंत्री बनाया गया। लेकिन तीस साल पुराने जामताड़ा के एक मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किये जाने की वजह 24 जुलाई 2004 को उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि इस मामले में करीब एक महीने तक जेल में बंद रहने के बाद वे जमानत पर रिहा हुए। उसके बाद उन्हें फिर दूसरी बार 27 नवम्बर 2004 को पुन: कोयला एवं खान मंत्रालय की जिम्मेवारी दी गयी। लेकिन दो मार्च 2005 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
2005 को वे पहली झारखंड के सीएम बने
झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद दो मार्च 2005 को वे पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने। लेकिन विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण 12 मार्च 2005 को महज 10 दिन के भीतर ही उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना पड़ा। इसके बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सरकार में पुन: 29 जनवरी 2006 को सोरेन ने तीसरी बार कोयला मंत्री के रूप में शपथ ली। इस बार भी दुर्भाग्य ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। इस बीच दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने उनके निजी सचिव शशिनाथ झा की हत्या के कथित आरोप से संबंधित एक मामले में उन्हें दोषी करार दे दिया। इस वजह से 29 नवंबर 2006 को उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन 2007 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस हत्याकांड मामले में उन्हें बरी कर दिया। इसके करीब एक साल के बाद निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा सरकार के गिर जाने की वजह से 28 अगस्त 2008 को शिबू सोरेन कांग्रेस , राजद व अन्य गैर भाजपा समर्थित विधायकों के समर्थन से दूसरी बार सांसद रहते राज्य के मुख्यमंत्री बने। छह महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनने की अनिवार्यता के मद्देनजर तमाड़ विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में यूपीए ने उन्हें साझा उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा। लेकिन इस उपचुनाव में पराजित होने की वजह से महज 114 दिन के भीतर ही 18 जनवरी 2009 को उन्हें मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा।
भाजपा के समर्थन से 2009 में तीसरी बने मुख्यमंत्री
इसी साल 2009 में सम्पन्न झारखंड विधानसभा के चुनाव में राज्य में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिल पाया इस वजह से दुमका से सांसद रहते हुए वह भाजपा के समर्थन से 30 दिसम्बर 2009 में तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री चुने गये। लेकिन इस बार भी विवादों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरकार द्वारा लोकसभा में पेश एक प्रस्ताव का उनकी पार्टी ने समर्थन कर दिया। इस कारण भाजपा ने राज्य में उनसे समर्थन वापस ले लिया और इस वजह से उनकी सरकार गिर गयी। महज 153 दिन के भीतर 31 मई 2010 को तीसरी बार उन्हें मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे देना पड़ा। इस तरह उनका सम्पूर्ण जीवन बेहद उतार चढ़ाव भारा रहा। फिर भी वह कभी विचलित नहीं हुए। पिछले एक दशक से दिशोम गुरू शिबू सोरेन बीमार रहने के बावजूद पाटर्ी संगठन और कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाते रहे।