Edited By ,Updated: 29 Jul, 2016 08:10 PM
विश्वप्रसिद्ध तबला वादक और एक्टर गोविंदा के मामा नारायण लच्छू महाराज शुक्रवार की सुबह पंचतत्व में विलीन हो गए।बताया जा रहा है कि...
वाराणसी: विश्वप्रसिद्ध तबला वादक और एक्टर गोविंदा के मामा नारायण लच्छू महाराज शुक्रवार की सुबह पंचतत्व में विलीन हो गए।बताया जा रहा है कि लच्छू महाराज के छोटे भाई जय नरायन सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी। दलेर मेंहदी के भाई शमशेर मेहंदी भी मणिकर्णिका घाट पहुंचे। आशंका जताई जा रही है कि दोपहर बाद गोविंदा भी यहां पहुंच सकते हैं।
जानकारी के अनुसार दलेर मेंहदी के भाई शमशेर मेहंदी का कहना है कि मुंबई में उन्हें लच्छू महाराज से कई बार तबले के गुण सीखने को मिले। लच्छू महाराज व्यावसायिक कलाकार नहीं थे, बल्कि संगीत के बड़े साधक थे। वहीं लच्छू महाराज के भाई आरपी सिंह और जय नारायण सिंह ने बताया कि हम 12 भाई-बहन थे। उन्होंने बताया कि गोविंदा बचपन में अकेले में बैठकर तबला सीखता था और महाराज जी के अभ्यास से काफी प्रभावित रहता था।
जय नारायण के अनुसार, एक बार सितारा देवी के साथ उनका तबला वादक नहीं आया था। तब उनके साथ संगत के लिए लच्छू महाराज बैठे थे। इस पर सितारा देवी ने कहा था कि ये बच्चा क्या बजाएगा, लेकिन जब महाराज ने बजाना शुरू किया तो 20 मिनट का कार्यक्रम 16 घंटों तक नॉन स्टॉप चला था। इसमें सितारा देवी के पैर से खून और महाराज के हाथों से खून निकलने लगा था।
बता दें कि लच्छू महाराज ने 11 साल की उम्र में तबला बजाना शुरु कर दिया था। भारत ने 1972 में 42 दिनों के लिए लच्छू महाराज को 27 देशों के दौरे पर भेजा था। लच्छू महाराज को 11 साल की उम्र में पहली बार 10 रुपए का पुरुस्कार मिला था।