वाराणसी: NRC-CAA को वकीलों ने बताया काला कानून, की ये मांग

Edited By Ajay kumar,Updated: 01 Feb, 2020 12:28 PM

varanasi lawyers told nrc caa this demand for black law

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन रूकने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसा ही कुछ नजारा एक बार फिर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के कचहरी परिसर में तब देखने को मिला जब सैकड़ों...

वाराणसी: नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन रूकने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसा ही कुछ नजारा एक बार फिर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के कचहरी परिसर में तब देखने को मिला जब सैकड़ों की संख्या में वकीलों ने डीएम कार्यालय के नीचे हांथों में तख्तियों को लेकर एनआरसी-सीएए को काला कानून बताते हुए जमकर विरोध प्रदर्शन किया।
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बता दें कि कुछ दिनों पहले शहर के बेनिया बाग को शाहीनबाग बनने से रोककर पुलिस ने भले ही कामयाबी पा लिया हो, लेकिन एनआरसी-सीएए के खिलाफ अब एक बार फिर पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में आवाज मुखर होने लगी है, वो भी पढा-लिखा समाज सीधे आलाधिकारियों के सामने खुलकर विरोध दर्ज कराने आ खड़ा हुआ है। वाराणसी के कचहरी परिसर में वकीलों ने सैकड़ों की संख्या में डीएम कार्यालय के ठीक नीचे नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया।
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नागरिकता संशोधन कानून को काला कानून बताते हुए वापस लेने की मांग वाले तख्तियों को लेकर वकीलों ने डीएम कार्यालय के नीचे जमकर नारेबाजी की। अपने विरोध के पीछे वकीलों ने दलील दी कि ये कानून संविधान के खिलाफ है और अगर देश के संविधान को चलाना है तो हमे संविधान के मूल सिद्धांतों के मुताबिक ही चलना होगा। उन्होंने बताया कि इस कानून ने हमारे देश के अंतर्राष्ट्रीय छवि को काफी धूमिल किया है। प्रदर्शनकारी वकील ने बताया कि एक वकील होने के नाते उनका विरोध इसी तरह गैर संवैधानिक चीजों के खिलाफ जारी रहेगा।
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प्रदर्शनकारी वकील खुशबुद्दीन ने बताया कि शुक्रवार को हम अपने सैकड़ों साथी वकीलों के साथ प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र के ऐतिहासिक कचहरी में एनआरसी और सीएए का विरोध दर्ज किए हैं। सरकार से ऐ मांग किए हैं कि इसको हिंदुस्तान के हित में, जनता के हित में और हिंदू-मुस्लिम संस्कृति तथा एकजुटता को बचाए रखने के लिए एस काले कानून को वापस लें। वहीं उन्होंने बताया कि वकीलों में कोई गुट तथा खेमा नहीं होता है लेकिन विरोधाभाष इसलिए होतो है क्योकि हम वादी भी होते हैं और प्रतिवादी भी होते हैं बाद में हम एकसाथ बैठकर चाय भी पीते हैं। ऐसा कोई विरोधाभाष हममें नहीं था बल्कि पर्याप्त 5 से 6 सौ की संख्या में अधिवक्ता वहीं एकत्रित थे जो एनआरसी-सीएए के खिलाफ बड़ा विरोध दर्ज किए। उन्होंने कहा कि हम मोदी जी को ऐ संदेश देना चाहते हैं कि इस काले कानून को वापस लो इसे उन्हें लागू नही करना चाहिए। 

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