Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 03 Feb, 2020 01:00 PM
नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है। ऐसे में प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) की संलिप्तता सामने आई है। जिसके चलते इस नेटवर्क से जुड़े 108 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस बारे में जानकारी देते...
लखनऊः नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है। ऐसे में प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) की संलिप्तता सामने आई है। जिसके चलते इस नेटवर्क से जुड़े 108 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस बारे में जानकारी देते हुए कार्यवाहक डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने कहा कि पीएफआई पश्चिमी यूपी में सक्रिय है। जांच के दौरान सीएए प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के लिए पीएफआई की भूमिका पाई गई।
उन्होंने कहा कि पीएफआई संगठन पूरे उत्तर प्रदेश में है। लेकिन, ज्यादा सक्रिय शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बिजनौर, लखनऊ, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, वाराणसी, आजमगढ़, गाजियाबाद व सीतापुर में है। बीते साल 19 व 20 दिसंबर को हिंसा के बाद पीएफआई के 25 सदस्यों की गिरफ्तारी की गई थी। इनमें प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद, कोषाध्यक्ष नदीम अहमद, डिवीजन इंचार्ज बहराइच/बाराबंकी मौलाना अशफाक, डिवीजन इंचार्ज वाराणसी रहीस अहमद एडवोकेट, कमेटी मेंबर नसरुद्दीन सहित अन्य कई महत्वपूर्ण पदाधिकारियों की गिरफ्तारी की गई थी।
कार्यवाहक डीजीपी ने बताया कि 108 गिरफ्तारियां में लखनऊ से 14, सीतापुर से तीन, मेरठ से 21, गाजियाबाद से 9, मुजफ्फरनगर से 6, शामली से सात, बिजनौर से 4, वाराणसी से 20, कानपुर से 5, गोंडा से एक, बहराइच से 16, हापुड़ से एक और जौनपुर से एक सदस्य को गिरफ्तार किया गया है।
अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने बताया कि वर्ष 2001 में भारत सरकार के द्वारा स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) संगठन पर प्रतिबंध लगाए जाने के पश्चात दक्षिण भारत के 3 संगठनों में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट केरल, मनीथा निधि परसाई तमिलनाडु एवं कर्नाटका फॉर्म फॉर डिग्निटी कर्नाटका ने वर्ष 2006 में सम्मेलन के बाद केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पीएफआई नाम का नया संगठन बनाया था। इसकी स्थापना 22 नवंबर 2006 को हुई थी।