Edited By Anil Kapoor,Updated: 11 Jul, 2025 07:53 AM

Balrampur News: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के उतरौला क्षेत्र के रेहरामाफी गांव में छांगुर नाम का व्यक्ति मुम्बई से आया और उसने नीतू व नवीन दंपत्ति के साथ खास रिश्ता बनाया। लगभग डेढ़ दशक पहले मुम्बई के हाजी अली दरगाह पर छांगुर से नीतू और नवीन की...
Balrampur News: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के उतरौला क्षेत्र के रेहरामाफी गांव में छांगुर नाम का व्यक्ति मुम्बई से आया और उसने नीतू व नवीन दंपत्ति के साथ खास रिश्ता बनाया। लगभग डेढ़ दशक पहले मुम्बई के हाजी अली दरगाह पर छांगुर से नीतू और नवीन की मुलाकात हुई थी। उस समय दंपत्ति के कोई बच्चे नहीं थे। छांगुर, जिसे लोग पीर बाबा के नाम से जानते हैं, ने दोनों को अंगूठी दी और कहा कि उनकी मनोकामना पूरी होगी और वे संतान प्राप्ति के लिए दुआ करेंगे।
बेटी के जन्म से बढ़ा छांगुर पर विश्वास, रिश्ते में आई और नजदीकी
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कुछ समय बाद नीतू और नवीन के घर बेटी का जन्म हुआ, जिससे उन्हें विश्वास हो गया कि यह छांगुर की कृपा से संभव हुआ है। इसके बाद छांगुर का दंपत्ति के साथ नजदीकी बढ़ने लगी। जब छांगुर मुम्बई जाता था, तो वह नीतू और नवीन के घर रुकता था। वहीं वापस अपने गांव उतरौला आने पर भी वे लम्बी बातचीत करते थे।
धर्म परिवर्तन की राह पर चला दंपत्ति, छांगुर ने बनाया दूसरों के लिए मिसाल
धीरे-धीरे छांगुर ने नीतू और नवीन के मन में धर्म परिवर्तन का विचार डाला। कई वर्षों की मेहनत के बाद 2015 में नीतू और नवीन ने हिन्दू धर्म छोड़कर मुस्लिम धर्म अपना लिया। इस दौरान नीतू का नाम नसरीन, नवीन का नाम जमालुद्दीन और उनकी बेटी का नाम समाले से सबीहा कर दिया गया। छांगुर के इस धर्म परिवर्तन के बाद उसने इस नेटवर्क को तेजी से फैलाना शुरू किया और नीतू व नवीन को मिसाल बनाकर अन्य लोगों को भी धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया।
विदेशी फंडिंग से बनी कोठी, प्रशासन ने गिराने की शुरू की तैयारी
धर्म परिवर्तन के बाद 2020 में नीतू व नवीन मुम्बई छोड़कर उतरौला के मधपुर में रहने लगे। छांगुर ने विदेशी फंडिंग से भारी रकम लेकर मधपुर में एक शानदार कोठी बनवाई, जो देख आसपास के लोग हैरान थे। छांगुर को जानने वाले लोग चकित थे कि इतनी बड़ी दौलत कहां से आई। कोठी नीतू के नाम पर बनी थी। अब प्रशासन ने उस कोठी को बुलडोजर से गिराने की तैयारी शुरू कर दी है।