महाकाल एक्सप्रेस का मंदिर पेंट्रीकार में हुआ शिफ्ट, आज से कामर्शियल रन की हुई शुरूआत

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 21 Feb, 2020 12:55 PM

temple of mahakal express now shifted to pantrikar commercial run

वाराणसी दौरे के दौरान पीएम मोदी ने तीन ज्योतिर्लिंगों को जोड़ने वाली महाकाल एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर ट्रायल रन के लिए रवाना किया था। देश की तिसरी कार्पोरेट ट्रेन होने की वजह से जितनी ज्यादा इसने सुर्खियां बटोरी तो उतना ही विवाद इसके ट्रायल रन से...

वाराणसीः वाराणसी दौरे के दौरान पीएम मोदी ने तीन ज्योतिर्लिंगों को जोड़ने वाली महाकाल एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर ट्रायल रन के लिए रवाना किया था। देश की तिसरी कार्पोरेट ट्रेन होने की वजह से जितनी ज्यादा इसने सुर्खियां बटोरी तो उतना ही विवाद इसके ट्रायल रन से शुरू हो गया, क्योंकि ट्रेन के एक बर्थ पर पहले दिन ही भगवान शिव का मंदिर बनाकर ट्रेन स्टाॅफ की ओर से पूजा पाठ किया गया था, लेकिन आज एक बार फिर ट्रेन के काॅमर्शियल रन पर मंदिर को हटाकर पेंट्रीकार में शिफ्ट कर दिया गया। जहां एक बार फिर ट्रेन स्टाॅफ द्वारा पूजा पाठ और आरती का वीडियो सामने आया है।
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बता दें कि 16 फरवरी को पीएम मोदी अपने वाराणसी दौरे के दौरान चंदौली के दीन दयाल उपाध्याय स्मारक से वीडियो काॅफ्रेसिंग के जरिये हरी झंडी दिखाकर ट्रायल रन के लिए शुरू किया था। ट्रेन के शुरू होते ही ट्रेन के बी-5 बोगी के 64 नंबर बर्थ पर बने अस्थाई शिव मंदिर पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने प्रस्तावना के साथ सवाल खड़े किए। जिसके बाद ट्रेन संचालक आइआरसीटीसी को सफाई पेश करते हुए अस्थाई शिवमंदिर हटा लेना पड़ा, लेकिन आज एक बार फिर उससे भी कहीं ज्यादा उत्साह के साथ ट्रेन के भीतर ही पूजा-पाठ और भजन-किर्तन की तस्वीरे सामने आने लगी। लेकिन इस बार जगह बदलकर पेंट्रीकार हो चूका था। इस बारे में कानपुर से आए पुजारी रामकरण ने बताया कि उनको रोजाना सुबह-शाम ट्रेन में आरती वंदना होगी। उनकी कुल 9 लोगों की टीम भी इसके लिए लगाई गई है।
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वहीं हफ्ते में 3 दिनों में से 2 दिन लखनऊ रूट और 1 दिन प्रयागराज रूट पर चलने वाली काशी-महाकाल एक्सप्रेस के अत्याधुनिक सुविधाओं के बारे क्षेत्रिय प्रबंधन आइआरसीटीसी ने काफी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आज पहली बार ट्रेन की कामर्शियल रन में 700 यात्री जा रहें हैं। ट्रेन में 9 कोच है और 648 यात्रियों की जगह है। ट्रेन की सारी टिकटे फुल हो चूकी है।
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काशी-महाकाल एक्सप्रेस वाराणसी के काशीविश्वनाथ, उज्जेन के महाकालेश्वर और इंदौर के ओंकालेश्वर ज्योतिर्लिंगों को जोड़ेगी और नियमित यात्रियों के लिए भी बेहतर ट्रेन साबित होगी। उन्होंने पहले दिन ट्रेन की बर्थ पर शिवमंदिर बनाने के सवाल के जवाब में कहा कि ट्रेन में परंपरानुसार पूजा पाठ किया गया था। किसी स्टाफ ने शिवजी की तस्वीर लगाकर पूजा की थी, वे सिर्फ तात्कालिक रूप से था।
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ट्रेन में शिवमंदिर से बेखबर यात्री अपनी सुख सुविधाओं को लेकर खासा उत्साहित थे। ट्रेन की इंदौर से सीधे कनेक्टीविटी, ट्रेन में पर्याप्त जगह, समय की बचत, साफ-सफाई, सुरक्षा, साकाहार खाना और तीन ज्योतिर्लिंगों का सीधा दर्शन ट्रेन यात्रियों को काफी लुभा रहा है।
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ट्रेन यात्रियों को आकर्षित करने के लिए और काशी की पहचान बताने के लिए तो बकायदा ट्रेन के बी-5 में बनारसी कपड़ों और साड़ी का स्टाॅल तक लगाया गया था। 

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