Edited By Mamta Yadav,Updated: 27 Mar, 2022 03:05 PM
ताज महोत्सव में कला, शिल्प और व्यंजनों के संगम से शिल्पग्राम लघु भारत बना हुआ है। कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से रंग जमा रहे हैं तो शिल्पियों के हुनर को कद्रदानों की दाद मिल रही है। ऐसे में जायके की बात न हो तो कुछ अटपटा सा लगता है। महोत्सव में पेट...
आगरा: ताज महोत्सव में कला, शिल्प और व्यंजनों के संगम से शिल्पग्राम लघु भारत बना हुआ है। कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से रंग जमा रहे हैं तो शिल्पियों के हुनर को कद्रदानों की दाद मिल रही है। ऐसे में जायके की बात न हो तो कुछ अटपटा सा लगता है। महोत्सव में पेट पूजा के लिए वेज से लेकर नानवेज तक के स्टाल मौजूद हैं। यहां हरियाणा के गोहाना से आए नरेश कुमार की देसी घी में बनी बड़ी जलेबी आकर्षण का केंद्र बनी है। इस जलेबी का स्वाद बड़े-बड़ों ने चखा है। इसे तलाशते हुए चटोरे ताज महोत्सव पहुंच रहे हैं और इसका स्वाद ले रहे हैं।
बता दें कि ताज महोत्सव में हरियाणा के सोनीपत के गाव गोहाना निवासी नरेश कुमार ने जलेबी का स्टाल लगाया है। बीते एक दशक से भी अधिक समय से वह ताज महोत्सव में आ रहे हैं। उनकी जलेबी की खासियत यह है कि यह बाजार में मिलने वाली साधारण जलेबी की तरह न होकर साइज में काफी बड़ी है। इसके एक पीस का वजन 250 ग्राम और कीमत 80 रुपये है। इसका एक पीस ही पेट भरने के लिए काफी है।
नरेश कुमार बताते हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमण काल में वह बीते दो वर्षों में ताज महोत्सव में नहीं आ सके थे। इस बार आए हैं तो उनकी जलेबी का पूर्व में स्वाद ले चुके लोग ढूंढ़ते हुए यहां पहुंच रहे हैं। उनकी जलेबी की खासियत यह है कि इसे मैदा, बेसन, सूजी से देसी घी में तैयार किया जाता है। यह उनका पुश्तैनी काम है। पिता के बाद उन्होंने इस काम को संभाला और अब उनके बेटे भी उनकी सहायता करते हैं। उन्होंने बताया कि वह देशभर में लोगों को अपनी जलेबी का स्वाद चखा चुके हैं। चंडीगढ़, सूरजकुंड, कुरुक्षेत्र, जोधपुर, जयपुर, उदयपुर, लखनऊ, गोवा, पणजी में होने वाले महोत्सवों में उन्होंने जलेबी की स्टाल लगाई हैं।