Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 11 May, 2020 11:16 AM
श्रम कानून संशोधन को लेकर योगी सरकार विपक्ष के निशाने पर है। इसी कड़ी में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल यादव और सुभासपा के नेता ओमप्रकाश राजभर ने श्रम कानून संशोधन पर सिवालिया निशान लगा दिए हैं। दोनों नेताओं ने ट्वीट के जरिए...
लखनऊः श्रम कानून संशोधन को लेकर योगी सरकार विपक्ष के निशाने पर है। इसी कड़ी में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल यादव और सुभासपा के नेता ओमप्रकाश राजभर ने श्रम कानून संशोधन पर सिवालिया निशान लगा दिए हैं। दोनों नेताओं ने ट्वीट के जरिए अपने मन की भड़ास निकाली है।
शिवपाल यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अध्यादेश के जरिए मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करने वाले यूपी श्रम अधिनियमों में बदलाव अमानवीय व अलोकतांत्रिक है। क्योंकि यह बदलाव तीन वर्ष तक प्रभावी रहेंगे, ऐसे में लंबी अवधि तक मजदूरों का शोषण संभव है। उन्होंने कहा कि आज मजदूर अपनी आजीविका को लेकर अनिश्चितता, भय और भूख के मंझधार में फंसा है।
शिवपाल यादव ने ट्वीट कर कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा अध्यादेश के माध्यम से श्रम कानूनों में किए गए अलोकतांत्रिक व अमानवीय बदलावों को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए। मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करने वाले ‘श्रम-क़ानून’ के अधिकांश प्रावधानों को 3 साल के लिए स्थगित कर दिया गया है। क्या आपदा की कीमत केवल मजदूर चुकायेंगे?
ओमप्रकाश राजभर ने भी अपने ट्वीट में कहा है कि बीजेपी सरकार मजदूर विरोधी है। श्रमिक कानूनों में बदलाव करके उनके भविष्य और जीवन के साथ खिलवाड़ करने का काम कर रही है। श्रमिकों को एक बार फिर गुलामी और शोषण की ओर ढ़केलने का कार्य कर रही है। मजदूर इस समय कठिन दौर से गुजर रहे हैं, सरकार उनको गुलाम बनाना चाहती है, अब भाजपा का पतन निश्चित है।