Edited By Pooja Gill,Updated: 29 Nov, 2024 01:37 PM
Mathura News: श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में उच्चतम न्यायालय में आज सुनवाई नहीं हो सकी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित हिंदू पक्ष के 18 मामलों की विचारणीयता...
Mathura News: श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में उच्चतम न्यायालय में आज सुनवाई नहीं हो सकी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित हिंदू पक्ष के 18 मामलों की विचारणीयता को चुनौती देने वाली मस्जिद समिति की याचिका को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर 9 दिसंबर को सुनवाई करेगा। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि वह नौ दिसंबर को अपराह्न दो बजे याचिका पर विस्तृत सुनवाई करेगी।
विस्तार से होगी याचिका पर सुनवाई
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इस पर विस्तार से सुनवाई होगी। हम इस पर नौ दिसंबर को दोपहर दो बजे विचार करेंगे... हमें यह तय करना है कि कानूनी स्थिति क्या है।'' पीठ की ओर से प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ के एक अगस्त के आदेश के खिलाफ अंतर-न्यायालयीय अपील की जा सकती है। पीठ ने कहा, ‘‘हम निश्चित रूप से आपको बहस करने का अवसर देंगे।'' सुप्रीम कोर्ट ने एक अगस्त को मथुरा में मंदिर-मस्जिद विवाद से संबंधित 18 मामलों की स्थिरता को चुनौती देने वाली प्रबंधन समिति, ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह की याचिका को खारिज कर दिया और फैसला सुनाया कि शाही ईदगाह के ‘‘धार्मिक चरित्र'' को निर्धारित करने की आवश्यकता है।
मस्जिद समिति ने दिया था ये तर्क
मस्जिद समिति का तर्क था कि कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और उससे सटी मस्जिद के विवाद से संबंधित हिंदू पक्षकारों द्वारा दायर मुकदमे पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम का उल्लंघन करते हैं और इसलिए वे स्वीकार्य नहीं हैं। संसद से पारित 1991 का अधिनियम देश की आजादी के दिन से किसी भी धार्मिक स्थल के धार्मिक चरित्र को बदलने पर रोक लगाता है। इसने केवल राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को इसके दायरे से बाहर रखा। हिंदू पक्ष द्वारा दायर मामलों में औरंगजेब के समय की मस्जिद को ‘‘हटाने'' का अनुरोध किया गया है। इसके बारे में उनका दावा है कि यह वहां पहले से मौजूद मंदिर को ध्वस्त करके बनाई गई थी।