Edited By Ajay kumar,Updated: 19 Mar, 2020 05:31 PM
देश भर में कोरोना के बढ़ते प्रकोप से बचने के लिए सरकार से लेकर सामान्य लोग भी तरह-तरह के कदम उठा रहे हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश में सभी धरना...
लखनऊः देश भर में कोरोना के बढ़ते प्रकोप से बचने के लिए सरकार से लेकर सामान्य लोग भी तरह-तरह के कदम उठा रहे हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश में सभी धरना प्रदर्शनों पर प्रतिबंध है। इसके बावजूद लखनऊ के घंटाघर परिसर में दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर बीते 17 जनवरी से महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं। गुरुवार को जिला प्रशासन ने प्रदर्शनकारी महिलाओं को धरना खत्म करने के लिए समझाने की कोशिश की। लेकिन बात नहीं मानी गई। जिसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए टेंट को उजाड़ दिया है।
बता दें कि UP में अब तक कोरोना वायरस के 20 केस सामने आए हैं। महामारी की श्रेणी में इस बीमारी को लाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी धरना प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके बावजूद लखनऊ के घंटाघर परिसर में दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर बीते 17 जनवरी से महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं। इस दौरान पुलिसकर्मियों व प्रदर्शनकारियों के बीच धक्का मुक्की भी हुई। जिससे 3 महिलाएं बेहोश हो गईं। फिलहाल प्रदर्शनकारी महिलाएं हटने को तैयार नहीं हैं। इलाके में माहौल तनावपूर्ण है। जिसके मद्देनजर सुरक्षा बल तैनात है।
वहीं प्रदर्शनकारी महिलाओं ने पुलिस पर अभद्रता का आरोप लगाते हुए कहा कि हम शांतिपूर्वक धरने पर बैठे थे। लेकिन महिला सिपाहियों ने हमारे मंच को उजाड़ दिया। महिलाओं को पीटा गया जिससे तीन महिलाएं बेहोश हो गई हैं। CAA एक काला कानून है। पुलिस महिला सुरक्षा की दुहाई देती है और दूसरी तरफ वह महिला प्रदर्शनकारियों के साथ अन्याय कर रही है। बेहोश हुई महिलाओं को पास के अस्पताल ले जाया गया है। प्रदर्शनकारी महिलाएं नारेबाजी कर रही हैं।
वहीं एडीसीपी विकास चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि कई लोग अनावश्यक रूप से खड़े थे और बाइक खड़ी कर रखी थी। इसे ही हटवाया गया है। प्रदर्शन कर रही महिलाओं को नहीं हटाया जा रहा है। लाठीचार्ज या पिटाई का आरोप गलत है।