Edited By Ajay kumar,Updated: 10 Apr, 2024 05:08 PM
उच्च न्यायालय ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दर्ज मुकदमे को रद करने से इनकार करते हुए कहा कि इस कानून के तहत अपराध को आरोपी और पीड़ित के बीच महज समझौते के आधार पर दरकिनार नहीं किया जा सकता है।
प्रयागराज: उच्च न्यायालय ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दर्ज मुकदमे को रद करने से इनकार करते हुए कहा कि इस कानून के तहत अपराध को आरोपी और पीड़ित के बीच महज समझौते के आधार पर दरकिनार नहीं किया जा सकता है।
आरोपी संजीव कुमार की याचिका खारिज
न्यायमूर्ति समित गोपाल ने पॉक्सो कानून के तहत आरोपी संजीव कुमार की याचिका को खारिज करते हुए कहा-जब अपराध करने के लिए नाबालिग पीड़िता की सहमति मायने नहीं रखती तो समझौता सहित सभी चरणों में सभी व्यवहारिक उद्देश्यों के लिए उसकी सहमति मायने नहीं रखेगी। अदालत ने कहा-महज इसलिए कि नाबालिग पीड़िता बाद में याचिकाकर्ता के साथ समझौता करने के लिए राजी हो गई है यह पॉक्सो कानून के तहत मुकदमा रद करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।
आजमगढ़ में विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो)आरोपी ने आपराधिक मुकदमे पर रोक
आजमगढ़ जिले के बिलारीगंज थाने में आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म), 313 (महिला की सहमति के बगैर गर्भपात कराना) और पॉक्सो कानून की धारा 3/4 के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसकी सुनवाई आजमगढ़ में विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) के समक्ष चल रही है। आरोपी ने आपराधिक मुकदमे पर रोक लगाने और निचली अदालत द्वारा समन जारी करने के आदेश को खारिज करने की मांग की थी। आरोपी ने दोनों पक्षों के बीच समझौते का हवाला देते हुए लंबित मामले पर निर्णय के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था।