Navratri: 51 शक्तिपीठों में से एक है प्रयागराज का कल्याणी देवी मंदिर, यहीं गिरी थी मां सती की 3 उंगलियां, जानें क्या है महत्व

Edited By Umakant yadav,Updated: 12 Oct, 2021 12:24 PM

navratri kalyani devi temple of prayagraj is one of the 51 shaktipeeths

देश के इक्यावन शक्तिपीठों में प्रयागराज का कल्याणी देवी मंदिर एक है। त्रिपुर सुन्दरी रूप में विराजमान देवी की इस महाशक्तिपीठ में आस्था का मेला हमेशा लगा रहता है। नवरात्र के चलते सोने-चांदी के गहनों व फूलों की पंखुडियों से देवी का भव्य व मनोहारी...

प्रयागराज: देश के इक्यावन शक्तिपीठों में प्रयागराज का कल्याणी देवी मंदिर एक है। त्रिपुर सुन्दरी रूप में विराजमान देवी की इस महाशक्तिपीठ में आस्था का मेला हमेशा लगा रहता है। नवरात्र के चलते सोने-चांदी के गहनों व फूलों की पंखुडियों से देवी का भव्य व मनोहारी श्रृंगार किया गया है। इस मंदिर की एक की मंदिर परिसर में ही एक कुंड भी है जिसकी मान्यता है की जो भी श्रद्धालु इस मनोकामना कुंड में मातारानी से सच्चे ह्रदय से मांगता है उसकी मुराद ज़रूर पूरी होती है। देवी के दर्शन-पूजन के लिए शक्ति पीठ में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं।

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प्रयागराज स्थित कल्याणी देवी मंदिर का पुराणों और धर्मशास्त्रों में उल्लेख है कि सृष्टि कल्याण के देवता भगवान् शिव की अर्धांगिनी सती की उंगली का हिस्सा तीर्थराज में इसी जगह गिरा था, जिसके चलते कल्याणी देवी को महाशक्ति पीठ का दर्जा हासिल है। इस शक्तिपीठ में त्रिपुर सुन्दरी रूप में विराजमान माँ को राज राजेश्वरी स्वरुप में पूजा जाता है। महाशक्तिपीठ में स्थापित अष्टधातुओं से बनी माँ कि मूर्ति तकरीबन 1500  साल पुरानी है।  शहर के सबसे पुराने मोहल्ले कल्याणी देवी में स्थित इस महाशक्तिपीठ मे नवरात्र के अवसर पर शक्तिपीठ के आस-पास भक्ति का भावपूर्ण माहौल रहता है।

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माँ का भव्य श्रृंगार करने के लिए दूर-दूर से श्रृंगारी आते हैं और फिर मूल्यवान वस्तुओं और फूलों की पंखुडियों के साथ ही सोने-चांदी के गहनों से अलग-अलग रूपों में माँ का मनोहारी श्रृंगार करते हैं। इस दौरान आरती व दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं में होड़ सी मची रहती है। मंदिर परिसर में ही एक कुंड भी है जिसकी मान्यता ये है की जो भी श्रद्धालु इस मनोकामना कुंड में मातारानी से सच्चे ह्रदय से मांगता है उसकी मुराद ज़रूर पूरी होती है, महिलाएं कुंड की जाली पर मन्नत का धागा बांधती है और जब मन्नत पूरी हो जाती है तो उस धागे को खोल देती हैं।

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धर्म और आस्था के शहर, संगम नगरी प्रयागराज में महाशक्तिपीठ कल्याणी के दरबार में भक्तों की यह भीड़ माँ के विराट और भव्य श्रृंगार के दर्शन के लिए उमड़ी है। हर किसी की जुबां पर बस एक ही नाम है जयकारा माँ शेरावाली का। माँ का आशीष पाने के लिए यहाँ भक्तों की लम्बी कतारें लगती हैं, जिनमे महिलाओं की संख्या अधिक रहती है। श्रद्धालु हाथ जोड़कर माँ के सामने झोली फैलाए हुए हैं। हर किसी को यकीन है की माँ उनकी हर मुराद अवश्य पूरी करेंगी। श्रद्धालु यहां आकर के माता रानी के दर्शन तो कर ही रहे हैं साथ ही साथ यह भी प्रार्थना कर रहे हैं कि कोरोना वायरस से देश दुनिया के लोगों को जल्दी मुक्ति मिले।

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यहाँ दूर-दराज से हजारों लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर लाल रंग के कपडे में लिपटे निशान को चढ़ाने के लिए गाजे-बाजे के साथ आते हैं। इसे माँ के प्रति भक्तों की आभार पूजा के रूप में भी माना जाता है। माँ कल्याणी के दरबार में इस दौरान कई धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन नवरात्र में माँ की भव्यता में चार चाँद लगा देते हैं।

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