Edited By Pooja Gill,Updated: 17 Sep, 2022 12:16 PM

उत्तर प्रदेश के मेरठ में मदरसों का सर्वे किया जा रहा है। इसके लिए हर तहसील के लिए एक टीम बनी है। टीम में संबंधित तहसील के एसडीएम, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी व जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी शामिल...
मेरठः उत्तर प्रदेश के मेरठ में मदरसों का सर्वे किया जा रहा है। इसके लिए हर तहसील के लिए एक टीम बनी है। टीम में संबंधित तहसील के एसडीएम, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी व जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी शामिल हैं। यह सर्वे जिले में गैर मान्यता प्राप्त चल रहे मदरसों का पता लगाने के लिए किए जा रहे है। इसी के चलते जिले के काजी प्रो. जैनुस साजिदीन ने इस पर बयान देते हुए कहा है कि,"हम मदरसों का सर्वे करने पर कोई ऐतराज नहीं करते। मगर मुस्लिमों के ही मदरसे का सर्वे क्यों? जितने भी धार्मिक पाठशाला है, उन सभी का सर्वे किया जाना चाहिए।" इस बयान के बाद जिले में मौजूद 5 मदरसों की रिपोर्ट सामने आई है।
बच्चों के कुरान के साथ पढ़ाई जाती हिंन्दी
जिले में मौजूद लिसाड़ीगेट का जामिया अरबिया कासिमुल उलूम मदरसा है। जिसके मुख्य गेट पर ऊंचाई की तरफ तिरंगा लगा हुआ है। मदरसे में एक तरफ रहने के लिए बरामदे से सटे हुए कमरे बने हुए थे। दूसरी तरफ उनकी तालीम (शिक्षा) के लिए हॉल थे। इस मदरसे में कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों को तालीम दी जा रही है। यहां बच्चों के लिए शौचालय हैं। पढ़ाई की जगह बच्चों को फर्श पर कालीन है, जो मैट के आकार का था। यहां बच्चों को कुरान पढ़ाई जाती है, साथ ही हिंदी भी पढ़ाई जाती है। मदरसों में जुमे के दिन छुट्टी भी रहती है।

निगरानी के लिए लगे CCTV कैमरे
शहर में ही मौजूद अलजमातुल इस्लामिया बदरुल उलूम मदरसे के दो मुख्य गेट हैं। यह मदरसा तीन मंजिला है। बाहर की तरफ सीसीटीवी भी लगा हुआ है। जो मुख्य गेट और रास्ते को कवर करने के लिए लगाया गया, जिससे बाहर से आने जाने वालों की सीसीटीवी निगरानी की जा सके। मदरसे में बच्चों के लिए पंखे, सोने के लिए कमरे और तालीम के लिए भी कमरे हैं।

सरकार से नहीं मिलता कोई अनुदान- प्रबंधक
मदरसा हमीदिया मिसबाहुल उलूम, लक्खीपुरा में बच्चों को तालीम देने के लिए बने सभी कमरों और हाल में पंखे लगे हुए थे। कुछ बच्चे बरामदे में तालीम ले रहे थे, जिन्हें मुफ्ती तालीम देते है। मदरसे में प्रबंधक का अलग से कमरा बना हुआ है, यहां प्रबंधक कारी अबरार अहमद कुछ किताबों में पढ़ते है। इस मदरसे में कक्षा एक से 5 तक के 60 बच्चे हैं, जिन्हें सरकार से कोई अनुदान नहीं मिलता। प्रबंधक ने कहा कि बच्चों के लिए फर्नीचर में टिपाही है, इस पर किताब रखकर बच्चे पढ़ते हैं। पढ़ाने वाले कारी, हाफिज, मौलवी वह भी जमीन पर बैठते हैं। पक्के फर्श पर मोटा मैट बिछाया जाता है, बच्चों के रहने के लिए अलग अलग कमरे हैं। उन्होंने कहा की चंदे से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है, पढ़ाने वाले कारी, हाफिज, मौलवी को हर माह 8 से 10 रुपया दिया जाता है। जो भी चंदा आता है, उस हर पैसे का रिकॉर्ड दर्ज है।

पढ़ाई के साथ नमाज भी पढ़ते बच्चे
हिमायू नगर में मस्जिद और मदरसा एक ही परिसर में है। यहां मदरसे में निर्माण कार्य भी चल रहा है। एक निजी समाचार पत्र के बातचीत में मदरसे में पढ़ाने वाले कारी ने बताया कि मौलाना (प्राचार्य) नहीं है। मैं यहां कारी हूं और बच्चों के पढ़ाने का काम है। यहां बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ नमाज भी पढ़ते है। मदरसे में बच्चों को अच्छी तालीम दी जाती है।

मदरसा इमदादुल इस्लाम में राष्ट्रगान गाते हैं बच्चे- प्राचार्य मौलाना
मदरसा इमदादुल इस्लाम सदर बाजार में कक्षा 5 के बच्चों को पढ़ाया जाता है। यहां सुबह साढ़े 7:30 बजे से दोपहर 12 बजे तक बच्चों को तालीम दी जाती है। जहां बच्चे राष्ट्रगान गाते हैं। वहीं पाठ्यक्रम में हिंदी, अंग्रेजी, गणित, कुरान, बुखारी और दूसरे विषयों को भी पढ़ाया जाता है।

यहां अलग अलग बिल्डिंग के पास शौचालय, बिजली के पंखे, और रहने के कमरों में मोटा कालीन बिछा हुआ था। यहां निशुल्क बच्चों को पढ़ाया जाता है। मदरसे के प्राचार्य मौलाना मशहूद उर रहमान शाहीन जमाली चतुर्वेदी ने बताया कि निशुल्क बच्चों को पढ़ाया जाता है।