'बेटे के हाथ में खून, पिता खींचे स्ट्रेचर...' सरकारी अस्पताल की अमानवीय तस्वीर देख दहल जाएगा देश का दिल

Edited By Anil Kapoor,Updated: 12 May, 2025 03:21 PM

jhansi news shameful picture of jhansi medical college

Jhansi News: उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में एक बार फिर इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है, जिसने सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक...

Jhansi News: उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में एक बार फिर इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है, जिसने सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक तस्वीर ने सबका दिल दहला दिया, जिसमें एक मासूम बच्चा अपनी मां के लिए खून की बोतल थामे चलता नजर आ रहा है, वहीं उसका पिता स्ट्रेचर खींचकर पत्नी को एक्स-रे विभाग ले जा रहा है। दुर्भाग्यवश, इलाज के दौरान हुई लापरवाही की कीमत महिला को अपनी जान गंवाकर चुकानी पड़ी।

गंभीर हालत में लाई गई थी महिला
मिली जानकारी के मुताबिक, यह घटना 3 मई 2025 की है जब मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की रहने वाली 35 वर्षीय शकुंतला नायक को आंतों में संक्रमण के चलते गंभीर हालत में झांसी रेफर किया गया। झांसी के सरकारी मेडिकल कॉलेज में उन्हें वार्ड नंबर दो में भर्ती किया गया। परिजनों के अनुसार, 8 मई को डॉक्टरों ने खून चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन इसी दौरान उन्हें एक्सरे के लिए रेडियोलॉजी विभाग भेज दिया गया।

अस्पताल कर्मियों की संवेदनहीनता
सबसे दर्दनाक पहलू यह रहा कि अस्पताल का कोई भी कर्मचारी मरीज को एक्सरे के लिए ले जाने नहीं आया। मजबूर पति खुद स्ट्रेचर खींचता रहा और 9 साल का बेटा सौरभ हाथ में खून की बोतल पकड़े साथ चलता रहा। वहां मौजूद एक व्यक्ति ने इस दर्दनाक दृश्य को कैमरे में कैद कर लिया और जैसे ही यह तस्वीर सोशल मीडिया पर आई, देशभर में गुस्से की लहर दौड़ गई।

प्रशासन ने मानी गलती, शुरू की कार्रवाई
घटना के तूल पकड़ते ही मेडिकल कॉलेज प्रशासन हरकत में आया। प्राचार्य डॉ. मयंक सिंह के निर्देश पर सीएमएस डॉ. सचिन माहुर ने तुरंत जांच शुरू की। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि खून चढ़ते समय मरीज को एक्सरे के लिए भेजना ना केवल मेडिकल गाइडलाइंस के खिलाफ है, बल्कि यह सीधे तौर पर जान जोखिम में डालने के बराबर है।

जिम्मेदारों पर गिरी गाज
सीएमएस की प्राथमिक जांच के बाद 5 कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई:

सिस्टर इंचार्ज सोनिया कासिफ और स्टाफ नर्स पुष्पा का वेतन तुरंत प्रभाव से रोका गया और उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।

आउटसोर्स स्टाफ नर्स पूजा भट्ट और चतुर्थ श्रेणी महिला कर्मचारी लक्ष्मी की सेवाएं समाप्त कर दी गईं।

चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रोशन को निलंबित किया गया।

सीएमएस डॉ. माहुर ने कहा कि यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। किसी भी हाल में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दोषियों पर और भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सवाल जो मांगते हैं जवाब 
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हमारे सरकारी अस्पतालों में ना सिर्फ संसाधनों की कमी है, बल्कि संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का भी गहरा अभाव है। सवाल यह है कि अगर एक बाप और मासूम बेटा मिलकर एक मरणासन्न महिला को अस्पताल में संभाल रहे हैं, तो वहां मौजूद स्टाफ की जिम्मेदारी क्या है?

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