Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 08 Dec, 2023 03:30 PM

जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी गुरुवार को जमीयत उलेमा की की बैठक में शामिल हुए। यहां मदनी ने अपने सं...
लखनऊ: जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी गुरुवार को जमीयत उलेमा की की बैठक में शामिल हुए। यहां मदनी ने अपने संबोधन के दौरान मुस्लिम कौम से कई तरह की अपील की और कहा कि मुस्लिम समाज के सुधार के लिए संघर्ष करना इस समय की सबसे महत्वपूर्ण जरूरत है। मदनी ने कहा कि प्रत्येक इकाई अपने दायरे में रहकर समाज सुधार कार्यक्रम को एक आंदोलन के जरिए अपने लोगों तक पहुंचाए।

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि साम्प्रदायिकता ने अतीत में देश को नुकसान पहुंचाया है और उसकी बर्बादी आज भी हमारे सामने हैं और ऐसे में इसका हर स्तर पर विरोध किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि साम्प्रदायिक शक्तियों द्वारा नफरत के नारे देना देश की मुखालफत है। अंग्रेजों ने देश का विभाजन किया और उस समय के मुसलमानों को भड़काया, लेकिन जमीयत उलेमा उन मुसलमानों को सच्चा मुसलमान नहीं मानती और उनसे अलग है। मदनी ने आगे कहा कि मुस्लिम शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की जाए, जिनमें नर्सरी से मिडिल और हाईस्कूल तक इस्लामी माहौल में शिक्षा दी जाए और ऐसी शिक्षा को जमीयत से जुड़े उलेमा विशेष रूप से ध्यान दें और अपनी देखरेख में ही आधुनिक शिक्षण संस्थाओं की स्थापना कराएं।

मदनी ने आगे यह भी कहा कि देश की वर्तमान स्थिति में विशेष रूप से मुस्लिम लड़कियों के लिए आठवीं कक्षा के बाद अलग शिक्षण संस्थान स्थापित किए जाए, ताकि लड़कियां बुरे प्रभाव से सुरक्षित रह सके क्योंकि लड़कियों को धर्मांतरण का शिकार बनाया जा रहा है और उनका धर्मांतरण कराया जा रहा है। इसको रोकना समय की आवश्यकता है और इस घिनौनी हरकत की वजह से खानदान के खानदान बर्बाद हो रहे है और इसीलिए हर मुस्लिम आबादी में इस प्रकार के संस्थान की स्थापित करना बहुत जरूरी है ताकि दीन ईमान से धर्म की रक्षा हो सके।