Lucknow News: यूपी ने 2022-23 के सत्र में चीनी उत्‍पादन में महाराष्‍ट्र को छोड़ा पीछे, किया रिकॉर्ड प्रोडक्शन

Edited By Pooja Gill,Updated: 21 May, 2023 04:58 PM

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उत्तर प्रदेश ने 2022-23 के पेराई सत्र में चीनी उत्पादन में महाराष्ट्र को पीछे छोड़ दिया है, जबकि इस सत्र में राज्य में संचालित 118 चीनी मिलों के मुकाबले महाराष्ट्र में 210 चीनी मिलें परिचालन में थीं। यूपी के गन्ना विकास और चीनी मिल मामलों के मंत्री...

लखनऊः उत्तर प्रदेश ने 2022-23 के पेराई सत्र में चीनी उत्पादन में महाराष्ट्र को पीछे छोड़ दिया है, जबकि इस सत्र में राज्य में संचालित 118 चीनी मिलों के मुकाबले महाराष्ट्र में 210 चीनी मिलें परिचालन में थीं। यूपी के गन्ना विकास और चीनी मिल मामलों के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बताया, ‘‘जहां तक चीनी के उत्पादन की बात है तो उत्तर प्रदेश कई अन्य कारकों के साथ महाराष्ट्र से आगे है।'' चौधरी ने आगे विस्तार से कहा, ‘‘चीनी सत्र 2022-23 में उत्तर प्रदेश द्वारा उत्पादित कुल चीनी 107.29 लाख टन है (जिसमें 3.05 लाख टन खांडसारी शामिल है), जबकि महाराष्ट्र में 105.30 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। महाराष्ट्र में 14.87 लाख हेक्टेयर की तुलना में उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती का क्षेत्र 28.53 लाख हेक्टेयर (भारत में अधिकतम) है। पेराई का मौसम अक्टूबर से जून तक होता है।

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नारायण चौधरी ने कहा कि, ‘‘प्रदेश में गन्ने का उत्पादन 2,348 लाख टन रहा, जबकि महाराष्ट्र में यह 1,413 लाख टन था।'' उन्होंने कहा कि 2022-23 के सत्र में उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों द्वारा कुल गन्ने की पेराई 1,084.57 लाख टन थी, जबकि महाराष्ट्र में यह 1,053 लाख टन रही।'' मंत्री ने कहा कि, राज्य में 19.84 लाख टन चीनी को एथनॉल में बदला गया, जबकि इसकी तुलना में महाराष्ट्र में यह आंकड़ा सिर्फ 15.70 लाख टन रहा। दोनों राज्यों में स्थापित चीनी मिलों की संख्या का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में स्थापित 246 चीनी मिलों की तुलना में उत्तर प्रदेश में स्थापित चीनी मिलों की संख्या 157 है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 118 की तुलना में महाराष्ट्र में 210 चीनी मिलें परिचालन में हैं। उन्होंने कहा कि 2022-23 सत्र में किसानों को 28,494.32 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है और लगभग 80 चीनी मिलें हैं, जिन्होंने काम बंद होने के एक सप्ताह के भीतर 100 प्रतिशत भुगतान कर दिया है।

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वहीं, चौधरी ने कहा कि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों और प्राथमिकताओं के तहत पिछले छह वर्षों में चीनी मिलों ने 2,11,700 करोड़ रुपये (किसानों को) का भुगतान किया है। पिछली सरकारों के कार्यकाल में 12 चीनी मिलें बेची गईं, जबकि 18 चीनी मिलें बंद थीं।'' उन्‍होंने कहा कि 2017 में राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद हमने नई मिलें खोली हैं और कुछ मिलों की क्षमता बढ़ाई है। पिछली सरकारों पर अपना हमला करते हुए चौधरी ने कहा, ‘‘बहुजन समाज पार्टी के शासन (2007 से 2012 तक) के दौरान गन्ना किसानों को 93,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था, जबकि समाजवादी पार्टी की सरकार (2012 से 2017 तक) में लगभग 95,215 करोड़ रुपये भुगतान किया गया था।'' 

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अगले साल चीनी मिलों की क्षमता बढ़ेगी
गन्ना विकास मंत्री ने जोर देकर कहा कि,  प्रदेश में किसान अपनी सभी तरह की उपज बेचकर जितनी कमाई करता है, उतनी ही रकम अकेले गन्ना बेचकर किसान के बैंक खाते में आती है। उन्होंने यह भी कहा कि चीनी मिलों को 15 जून तक चालू रहने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इस बीच, संपर्क करने पर महाराष्ट्र के सहकारिता मंत्री अतुल मोरेश्वर सावे ने पीटीआई-भाषा को बताया,‘‘इस साल गन्ने का उत्पादन कम था, इसलिए चीनी मिलों में पिछले साल की तुलना में कम मात्रा में गन्ना पहुंचा और इसलिए अंतर है। हालांकि, अगले साल चीनी मिलों की क्षमता बढ़ेगी।'' 

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