ढाई साल में मां को खोया...जमानत मिलने के एक महीने बाद जेल से रिहा हुए केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन

Edited By Mamta Yadav,Updated: 02 Feb, 2023 11:00 PM

kerala journalist siddiqui kappan released from jail a month after getting bail

केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को बृहस्पतिवार को जमानत पर जेल से रिहा कर दिया गया। कप्पन को करीब 2 साल पहले उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक महिला की मृत्यु के बाद कथित तौर पर हिंसा भड़काने की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। कप्पन की यह...

लखनऊ: केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को बृहस्पतिवार को जमानत पर जेल से रिहा कर दिया गया। कप्पन को करीब 2 साल पहले उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक महिला की मृत्यु के बाद कथित तौर पर हिंसा भड़काने की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। कप्पन की यह रिहायी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर धनशोधन मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें जमानत दिए जाने के लगभग छह सप्ताह बाद हुई। सितंबर में, उच्चतम न्यायालय ने उन्हें गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक अन्य मामले में जमानत दे दी थी।
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मैं काफी संघर्ष के बाद बाहर आया हूं: कप्पन
लखनऊ जिला जेलर राजेंद्र सिंह ने बताया कि कप्पन को सुबह करीब सवा 9 बजे जेल से रिहा किया गया। एक दिन पहले उनके वकील ने जमानत की शर्त पूरी करते हुए यहां विशेष पीएमएलए (धनशोधन रोकथाम अधिनियम) अदालत में एक-एक लाख रुपये के दो मुचलके पेश किये थे। कप्पन ने जेल से बाहर आने के बाद कहा, ‘‘मैंने संघर्ष किया।'' कप्पन का जेल के बाहर कुछ लोग इंतजार कर रहे थे जिसमें उनकी पत्नी और किशोर बेटा शामिल था। कप्पन ने कहा, ‘‘28 महीने हो गए हैं। मैं काफी संघर्ष के बाद बाहर आया हूं। मैं खुश हूं।'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं दिल्ली जा रहा हूं। मुझे वहां छह सप्ताह रहना है।'' तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित के नेतृत्व वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ ने कप्पन को जेल से रिहा होने के बाद छह सप्ताह तक दिल्ली में रहने का निर्देश दिया था। कप्पन और तीन अन्य को अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था जब वे हाथरस जा रहे थे जहां एक दलित महिला की कथित रूप से बलात्कार के बाद मौत हो गई थी।
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ढाई साल जेल में रहने के दौरान उनकी मां का देहांत हो गया
हाथरस की यात्रा के उद्देश्य के बारे में पूछे जाने पर, कप्पन ने पत्रकारों से कहा कि वह वहां ‘‘रिपोर्टिंग'' करने गए थे। उनके साथ आए लोगों के बारे में उन्होंने कहा कि वे छात्र थे। उनसे की गई बरामदगी के बारे में पूछे जाने पर कप्पन ने मीडिया से कहा, "कुछ नहीं... मेरे पास केवल एक लैपटॉप और मोबाइल था।'' उनके पास से कुछ आपत्तिजनक सामग्री मिलने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘दो पेन और एक नोटपैड।'' पुलिस ने आरोप लगाया था कि कप्पन के प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से संबंध थे और उन पर यूएपीए और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे। ढाई साल जेल में रहने के दौरान उनकी मां का देहांत हो गया।
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कप्पन की पत्नी रेहाना ने कहा, '‘‘उनका (कप्पन की मां) नाम कदीजा था। वह कप्पन को घर आते देखने के लिए वहां नहीं हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने यूएपीए मामले में जमानत दे दी और उसकी बेगुनाही सामने आ गई। ढाई साल कम समय नहीं है। हमने बहुत दर्द और पीड़ा सही है। लेकिन मुझे खुशी है कि देर से ही सही न्याय मिला है।'' रेहाना ने कहा, ‘‘मैं दोहराती हूं कि कप्पन एक मीडियाकर्मी हैं।'' दंपति के तीन बच्चे हैं- मुजम्मिल (19), जिदान (14) और मेहनाज (नौ)। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे बच्चे घर में उनका स्वागत करने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। उनकी खुशी छिन गई। क्या वे अपने पिता को भूल सकते हैं? उन्हें यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि एक पत्रकार सिद्दीकी कप्पन उनके पिता हैं।'' कप्पन के वकील मोहम्मद दानिश केएस के अनुसार, पत्रकार मथुरा और लखनऊ जिला जेलों में बंद थे और वह दो बार जेल से बाहर आये थे - एक बार जब उन्हें कोविड हुआ था और वह एम्स, दिल्ली में भर्ती हुए थे और दूसरी बार अपनी बीमार मां से मिलने के लिए। पिछले साल सितंबर में उच्चतम न्यायालय ने उन्हें यूएपीए मामले में जमानत दे दी थी लेकिन धनशोधन के मामले में वह जेल में ही रहे।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उन्हें दूसरे मामले में 23 दिसंबर को जमानत दे दी थी। उनकी रिहाई के बाद, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने प्रसन्नता व्यक्त की कि ‘‘आखिरकार संविधान के अनुच्छेद 21 की जीत हुई है।'' संविधान का अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संरक्षण के अधिकार से संबंधित है। पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि अंततः संविधान के अनुच्छेद 21 की जीत हुई और केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन स्वतंत्र हैं। निचली अदालत के न्यायाधीशों को न्यायिक हिरासत की मांग पर दूरदर्शिता के साथ विचार करना चाहिए, क्योंकि यह हिरासत वास्तव में सुनवाई पूर्व जेल के समान है।''

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