Edited By Ramkesh,Updated: 26 Jul, 2024 01:33 PM

कांवड़ यात्रा मार्ग पर सभी भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश पर रोक बरकरार रखा है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आप किसी को नेम प्लेट लगाने के लिए मजबूर नहीं कर सकते है। दुकानदार अपनी मर्जी से...
लखनऊ: कांवड़ यात्रा मार्ग पर सभी भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश पर रोक बरकरार रखा है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आप किसी को नेम प्लेट लगाने के लिए मजबूर नहीं कर सकते है। दुकानदार अपनी मर्जी से नेम प्लेट लगा सकता है। उच्चतम न्यायालय से उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि श्रावण महीने में‘यात्रा'करने वाले कांवड़यिों की सार्वजनिक सुरक्षा व्यवस्था, पारदर्शिता और सूचित विकल्प सुनिश्चित करने के लिए सभी खाद्य विक्रेता मालिकों और कर्मचारियों की पहचान प्रदर्शित करने के निर्देश दिए गए थे। एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स और अन्य द्वारा दायर याचिका पर शीर्ष अदालत की ओर से 22 जुलाई को जारी नोटिस पर राज्य सरकार ने यह जवाब दाखिल किया है।
शीर्ष अदालत ने याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई की थी और उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों के कांवड़ यात्रियों के मार्ग में पड़ने वाले होटल, दुकानों, भोजनालयों और ढाबों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के विवादास्पद निर्देशों को लागू करने पर रोक लगा दी थी। याचिका में मुजफ्फरनगर के एसएसपी की ओर से विक्रेता मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के लिए 17 जुलाई को जारी निर्देश को भेदभावपूर्ण और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 17, 19(1)(जी) और 21 का उल्लंघन बताया गया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने जवाब में आगे कहा कि यह निर्देश (नाम प्रदर्शित करने का) सीमित भौगोलिक सीमा के लिए अस्थायी प्रकृति का था। यह आदेश गैर-भेदभावपूर्ण और उन‘कांवड़यिों'की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए दिया गया, जो केवल‘सात्विक'खाद्य पदार्थ पसंद करते हैं और गलती से भी अपनी मान्यताओं के खिलाफ नहीं जाते।
राज्य सरकार ने कहा, ‘‘अनजाने में किसी ऐसे स्थान पर अपनी पसंद से अलग भोजन करने की दुर्घटना कांवड़यिों के लिए पूरी यात्रा के साथ ही क्षेत्र में शांति और सौहार्द को बिगाड़ सकती है, जिसे बनाए रखना राज्य का कर्तव्य है।'' सरकार ने कहा कि यह उपाय एक सक्रिय कदम है, क्योंकि अतीत में बेचे जा रहे भोजन के प्रकार के बारे में गलतफहमियों के कारण तनाव, अशांति और सांप्रदायिक दंगे भड़के थे। सुप्रीम कोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई सोमवार को होगी सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है।