Edited By Pooja Gill,Updated: 29 Dec, 2022 02:37 PM

Corona: उत्तर प्रदेश में कोरोना के मामले सामने आने के बाद इसके प्रसार का खतरा बढ़ गया है। इसी के चलते स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना से निपटने के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। फर्रुखाबाद में भी बढ़ते संक्रमण के दौरान किसी भी मरीज को कोई...
फर्रुखाबाद (दिलीप कटियार): उत्तर प्रदेश में कोरोना (Corona) के मामले सामने आने के बाद इसके प्रसार का खतरा बढ़ गया है। इसी के चलते स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना से निपटने के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। फर्रुखाबाद में भी बढ़ते संक्रमण के दौरान किसी भी मरीज को कोई परेशानी न हो, सभी को उचित इलाज मिले, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से CHC कमालगंज, बरौन, कायमगंज, राजेपुर, मोहम्दाबाद, मेजर कौशलेंद्र सिंह सीएचसी फतेहगढ़ और डॉ. राममनोहर लोहिया चिकित्सालय पुरुष में मॉक ड्रिल के जरिए कोविड संक्रमण से निपटने को लेकर अधिकारियों ने जिले में की गई तैयारियों को परखा था। इसके लिए बनाए गए नोडल अधिकारियों की देखरेख में मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया, जिसकी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी गई थी।

Corona से निपटने की तैयारियों की जांच के लिए की गई मॉक ड्रिल
CMO डॉ. अवनीन्द्र कुमार ने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए सभी जगह पर पीकू वार्ड तैयार हैं। इसके साथ ही पर्याप्त दवा व ऑक्सीजन का भी इंतजाम कर लिया गया है। सीएमओ ने कहा कि यह मॉक ड्रिल इसलिए की गई कि हम इस बात की जांच कर सकें कि अगर कोविड का संक्रमण बढ़ता है तो हम इससे निपटने के लिए कितने तैयार है। अगर कोई कमी रह जाती है तो इसको समय रहते पूरा कर लिया जाए।
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जिससे संक्रमण बढ़ने पर हम इसको रोकने में और संक्रमित को इलाज देने में कहीं देर न कर दें। वहीं, लोहिया अस्पताल की OPD में जांच तो दूर शरीर का तापमान मापने की जरूरत भी नहीं समझी जा रही। यहां हेल्प डेस्क से कर्मचारी गायब और CMO दफ्तर में तो डेस्क ही नहीं है, सेंसर सैनिटाइजर मशीन सालों से खराब पड़ी है। सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ के चेहरे से मास्क पूरी तरह गायब है। इससे संक्रमण का खतरा बढ़ने की आशंका है।

सरकारी अस्पतालों में 330 और प्राइवेट में 100 बैड रिजर्व
सीएमओ की ओर से सभी सीएचसी से वाहन भेजकर कोरोना के नमूना रोजाना मंगाए जाते थे। छह दिसंबर से वाहन बंद होने के बाद से सीएचसी कर्मचारी यदाकदा अपनी बाइकों से नमूना लेकर लोहिया अस्पताल की BSL-2 लैब तक पहुंचाते हैं। इससे नमूने की RTPCR जांच एक-एक सप्ताह बाद होती है। नमूना भेजने की झंझट से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आरटीपीसीआर जांच के लिए नमूने लिए ही नहीं जा रहे। शहर में रोडवेज बस अड्डा और रेलवे स्टेशन पर सबसे ज्यादा भीड़ रहती है। इन दोनों ही स्थानों पर न तो जांच की व्यवस्था की गई और न ही हेल्पडेस्क बनाई गई है। यही नहीं कई महीने तक चली वैक्सीन लगाने की व्यवस्था भी बंद हो गई है। पीएचसी भोलेपुर में वैक्सीन न होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। जिले की कोल्ड चेन में वैक्सीन के स्टाक की भी कमी है। जिले में एक नजर डाले तो 6 सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगे है और दो प्लांट प्राइवेट लगे हुए है। जिले में 330 बैड सरकारी अस्पतालों में है जबकि 100 बैड प्राइवेट अस्पतालों में रिजर्व किए गए है।