कोरोना प्रोटोकाल में शुरू हुआ 138 वर्ष पुराना रियासत कालीन सुप्रसिद्ध गोवर्धन मेला

Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 16 Nov, 2020 03:56 PM

famous govardhan fair 138 year old princely state started in corona protocol

उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के महोबा में 138 वर्ष पुराने रियासत कालीन सुप्रसिद्ध सहस्त्र श्री गोवर्धननाथ मेला कोरोना प्रोटोकाल में औपचारिकताओं के साथ आरम्भ

महोबा: उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के महोबा में 138 वर्ष पुराने रियासत कालीन सुप्रसिद्ध सहस्त्र श्री गोवर्धननाथ मेला कोरोना प्रोटोकाल में औपचारिकताओं के साथ आरम्भ हो गया। जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार व पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार श्रीवास्तव की उपस्थिति में चरखारी में गोवर्धन पर्वत धारी भगवान श्रीकृष्ण की नयनाभिराम आदमकद प्रतिमा को शास्त्रीय पद्यति से विधिवत पूजन अर्चन के साथ मंदिर से उठा कर बंगले में पहुंचा प्रतिष्ठापित करा दिया गया।

बता दें कि इस दौरान भारी भीड़भाड़ की मौजूदगी में दोनों प्रमुख अधिकारियों ने गोवर्धन नाथ स्वामी की विधिवत पूजा अर्चना की और लोक कल्याण के लिए प्रार्थना की। इसके साथ ही गिरधारी श्रीकृष्ण अब अगले एक माह तक यहां बंगले में ही विराजित रहकर भक्तों को न सिर्फ दर्शन और आशीर्वाद देंगे बल्कि उनके सभी तरह के कष्टों का निवारण करेंगे।

बुंदेलखंड के कश्मीर के नाम से विख्यात झीलों और मंदिरों की नगरी चरखारी का गोवर्धन नाथ मेला अपने धार्मिक महत्व के कारण दूर.दूर तक विख्यात है। इसकी शुरुआत दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के पर्व से होती है। परंपरा के अनुसार तब यहाँ प्राचीन राजमहल के निकट ड्योढ़ी स्थित मंदिर से भगवान गोवर्धन नाथ स्वामी को गाजे बाजे सहित शोभायात्रा के साथ मेला मैदान में बंगले पहुचाया जाता है। जहां एक माह के दीर्घ कालीन प्रवास के लिए विधि.विधान के साथ उन्हें विराजित किया जाता है। नगर में स्थित अन्य मंदिरों में विराजे देव भी इसके उपरांत एक.एक करके मेले में पहुंचते है और निर्धारित स्थलो पर विराजमान होते है। इस प्रकार श्री गोवर्धन नाथ का मेला परिसर में एक माह तक दरबार सजता है।

मेला गोवर्धन नाथ के आयोजक नगर पालिका परिषद के चेयरमेन मूलचंद्र अनुरागी ने कहा कि गोवर्धन नाथ मेले की शुरु आत चरखारी के तत्कालीन नरेश मलखान सिंह जू देव ने कराई थी। वे भगवान कृष्ण के उपासक थे। उन्होंने अपने समय मे चरखारी में श्रीकृष्ण के 108 स्वरूपों के मंदिरों का निर्माण कराया था। हरी भरी पहाड़ियों झीलों के कारण यह नगरी नैसर्गिक सुषमा से परिपूर्ण है। बड़ी संख्या में कृष्ण मंदिर होने के कारण चरखारी को मिनी बृन्दावन के नाम से भी संबोधित किया जाता है।

 

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