Edited By Ajay kumar,Updated: 17 Feb, 2020 10:46 AM

कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर जातिवादी रवैये का आरोप लगाते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने कहा कि ये दल एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग को शिक्षा एवं सरकारी नौकरी में आरक्षण का...
लखनऊ: कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर जातिवादी रवैये का आरोप लगाते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने कहा कि ये दल एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग को शिक्षा एवं सरकारी नौकरी में आरक्षण का विरोध खुले तौर पर नहीं करती हैं, लेकिन अपनी कार्यप्रणाली में हर वह काम करती हैं जिससे समाज का यह वर्ग उपेक्षित और तिरस्कृत रहे। सुश्री मायावती ने शनिवार को कहा कि पहले कांग्रेस और अब भाजपा सरकारों के जातिवादी रवैये के कारण दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था के जरिये देश की मुख्यधारा में शामिल करने का प्रयास विफल होता दिख रहा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण और चिन्ता की बात है।
उन्होंने कहा कि आरक्षण की सकारात्मक व्यवस्था को ज़मीनी हकीकत में नहीं लागू होने देना कांग्रेस, भाजपा और अन्य विरोधी पाटिर्यों की कथनी करनी में अन्तर का पुख्ता सबूत है। एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग को शिक्षा एवं सरकारी नौकरी में मिले आरक्षण का विरोध ये पाटिर्यां वोट के भय से खुले तौर पर नहीं करती हैं, लेकिन अपनी नीयत नीति एवं कार्यप्रणाली में हर वह काम करती हैं जिससे यहाँ सदियों से शोषित-पीड़ित, उपेक्षित और तिरस्कृत रहें। इन कमजोर वर्ग के करोड़ो लोगों को मिलने वाली आरक्षण की सुविधा निष्क्रिय एवं निष्प्रभावी हो जाए और अन्तत: यह प्रावधान केवल कागजी होकर ही रह जाये।
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि इन दलों की सरकारों के न्यायालय के भीतर भी इसी प्रकार के ग़लत रवैये के कारण अब अदालती फैसलों से लगता है कि आरक्षण एक संवैधानिक अनिवार्यता ना रहकर मात्र सरकारों की इच्छाओं पर निर्भर रह जायेगा, जिससे पूरे देश भर में इन वर्गो के साथ-साथ कानून-संविधान की मान मर्यादा के हिसाब से काम करने वाले सर्वसमाज के अधिकतर लोग भी काफी ज्यादा दु:खी और विचलित दिखते हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 2012 में बसपा सरकार के जाने के बाद से तो आरक्षण की व्यवस्था के साथ-साथ सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण की व्यवस्था को एक प्रकार से समाप्त ही कर दिया गया है। इनके डिमोशन के मामले में लगातार ऐसी सक्रियता दिखाई गई जैसे यही देश समाज हित का सबसे बड़ा काम सरकारों के लिए रह गया हो। यह सब विरोधी पाटिर्यों की जातिवादी मानसिकता नहीं तो और क्या है? अब बीजेपी की वर्तमान सरकार में इसी जातिवादी रवैये का शिकार केवल एससी/एसटी समाज के लोग ही नहीं बल्कि ओबीसी वर्ग भी काफी ज्यादा सताए जा रहे हैं।
बसपा अध्यक्ष ने केन्द्र सरकार से माँग कि वह आरक्षण की सकारात्मक व्यवस्था को संविधान की 9वीं अनुसूची में लाकर इसको सुरक्षा कवच तब तक प्रदान करे, जब तक उपेक्षा और तिरस्कार से पीड़ित करोड़ों लोग देश की मुख्यधारा में शामिल नहीं हो जाते हैं, जो आरक्षण की सही संवैधानिक मंशा है।