Edited By Ramkesh,Updated: 03 Jul, 2025 05:52 PM

समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम के बीच ऐतिहासिक एकता का जिक्र करते हुए कहा कि यह सामाजिक न्याय के लिए वैचारिक गठबंधन की शक्ति को दर्शाता है।...
आजमगढ़: समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम के बीच ऐतिहासिक एकता का जिक्र करते हुए कहा कि यह सामाजिक न्याय के लिए वैचारिक गठबंधन की शक्ति को दर्शाता है। आजमगढ़ में पार्टी के नए आवास और कार्यालय परिसर के उद्घाटन के अवसर पर अखिलेश ने भीड़ में मौजूद एक युवा पार्टी कार्यकर्ता द्वारा दिखाई गई तस्वीर का जिक्र किया।
उन्होंने कहा, "उस तस्वीर में नेताजी (मुलायम सिंह यादव) और कांशीराम एक साथ थे। सोचिए वह समय कितना महत्वपूर्ण था - जब दो विचारधाराएं एक साथ खड़ी थीं।" दलित नेता कांशीराम और मुलायम सिंह यादव ने 1990 के दशक की शुरुआत में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ हाथ मिलाया था, जो उस समय अपने उत्कर्ष पर थी। वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश में पार्टी की मौजूदगी के रणनीतिक विस्तार को चिह्नित करते हुए अखिलेश ने कहा कि आजमगढ़ का उनके पिता मुलायम सिंह से विशेष भावनात्मक जुड़ाव रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘आजमगढ़ जिस तरह का प्यार और सम्मान देता है, वह दुर्लभ है। नेताजी का इस जगह से गहरा भावनात्मक जुड़ाव था और यहां के लोग हमेशा उनके साथ खड़े रहे।'' अपने राजनीतिक सफर पर विचार करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मेरे जीवन का एक चौथाई हिस्सा राजनीति में बीता है। मुझे याद है कि कैसे आजमगढ़ के लोगों ने चुनावों में नेताजी की जीत सुनिश्चित की थी।
भाजपा पर कटाक्ष करते हुए अखिलेश ने कहा, ‘‘उनके पास कई मंजिलों वाले कार्यालय हैं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। यहां उनका कार्यालय छोटा है क्योंकि उन्हें पता है कि वे यहां से नहीं जीतेंगे।" अपने कार्यकाल के दौरान किए गए बुनियादी ढांचे के लाभ की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘लखनऊ से आजमगढ़ पहुंचने में उतना ही समय लगता है जितना कि इटावा के सैफई पहुंचने में लगता है, इसका श्रेय हमने जो एक्सप्रेसवे बनाए हैं, उन्हें जाता है। अखिलेश ने 2019 से 2024 तक संसद में आजमगढ़ का प्रतिनिधित्व किया, जबकि 2014 में उनके पिता ने इस सीट से जीत दर्ज की थी। अब इस सीट पर उनके चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव का कब्जा है।