पैंट उतरवाकर पहचान कराने पर बवाल, पंडित जी वैष्णो ढाबा के सनव्वर-आदिल सहित कई लोगों पर केस दर्ज!

Edited By Anil Kapoor,Updated: 03 Jul, 2025 02:16 PM

case filed against many people including sanwar adil of pandit ji vaishno dhaba

Muzaffarnagar News: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में कांवड़ यात्रा के रास्ते पर लगे ढाबों के मालिकों की पहचान जानने की कोशिश ने सियासी रंग पकड़ लिया है। स्वामी यशवीर महाराज की टीम द्वारा की गई इस जांच को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। पुलिस ने पंडित...

Muzaffarnagar News: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में कांवड़ यात्रा के रास्ते पर लगे ढाबों के मालिकों की पहचान जानने की कोशिश ने सियासी रंग पकड़ लिया है। स्वामी यशवीर महाराज की टीम द्वारा की गई इस जांच को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। पुलिस ने पंडित जी वैष्णो ढाबा के मालिक सनव्वर, उसके बेटे आदिल, जुबैर और 2 अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। उन पर पूर्व मैनेजर धर्मेंद्र के साथ मारपीट करने का आरोप है।

पुलिस ने 6 लोगों को भेजा नोटिस
मिली जानकारी के मुताबिक, न्यू मंडी थाना प्रभारी दिनेश चंद भागल ने बताया कि स्वामी यशवीर महाराज की टीम से जुड़े 6 लोगों को 3 दिन के अंदर थाने में पूछताछ के लिए बुलाया गया है। ये लोग बिना जिला प्रशासन की अनुमति के कांवड़ यात्रा मार्ग पर ढाबों के मालिकों की पहचान की जांच कर रहे थे। पुलिस ने बताया कि जिन 6 लोगों को नोटिस भेजा गया है, उनमें सुमित बहरागी, रोहित, विवेक, सुमित, सनी और राकेश शामिल हैं। ये सभी बघरा स्थित स्वामी यशवीर के आश्रम से जुड़े हैं। आगे भी वीडियो में दिख रहे अन्य लोगों को नोटिस दिया जा सकता है। पुलिस मामले को गंभीरता से देख रही है और सभी कानूनी पहलुओं की जांच कर रही है।

मारपीट का मामला भी दर्ज
धर्मेंद्र ने पुलिस में शिकायत दी है कि उसने बताया था कि हिंदू नाम के इस ढाबे को वास्तव में एक मुस्लिम व्यक्ति चला रहा है। इसी बात को लेकर सनव्वर और उसके परिजन ने उससे मारपीट की। पुलिस ने इस शिकायत पर सनव्वर, आदिल, जुबैर और दो अन्य लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है।

विवाद की शुरुआत
स्थानीय लोगों के अनुसार, रविवार को स्वामी यशवीर महाराज की टीम ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित ढाबों के मालिकों की पहचान जांचने का अभियान शुरू किया था। उनका दावा था कि यह तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए जरूरी है। पिछले साल सितंबर में उत्तर प्रदेश सरकार ने आदेश दिया था कि कांवड़ यात्रा के रास्ते पर जो भी ढाबे या दुकानें हैं, उनके मालिकों और संचालकों का नाम और पता साफ-साफ दिखाना जरूरी होगा। इस साल उत्तराखंड सरकार ने भी ऐसे आदेश दिए हैं कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर सभी भोजनालयों को अपना खाद्य लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाणपत्र सार्वजनिक करना होगा।

राजनीतिक विवाद तेज
इस मामले को लेकर राजनीतिक दल भी आमने-सामने आ गए हैं। मुरादाबाद के पूर्व सपा सांसद एसटी हसन ने उत्तराखंड में हुई धार्मिक जांच की निंदा करते हुए इसे आतंकवाद बताया। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें लोगों को उनकी धार्मिक पहचान साबित करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। हसन ने कहा कि यह व्यवहार भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश के लिए शर्मनाक है और इसे रोकना चाहिए। वहीं, बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इसका जवाब देते हुए कहा कि सपा नेता ऐसे लोगों का समर्थन कर रहे हैं जो अपने नाम छिपाते हैं। उन्होंने कहा कि सपा को अपना एंटी-मोदी नजरिया हटाना चाहिए तभी वे देश की सही तस्वीर देख पाएंगे।

ओवैसी ने भी जताई आपत्ति
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस पूरे मामले पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर बाइपास के पास कई होटल सालों से चल रहे हैं और कांवड़ यात्रा भी हमेशा से शांति से होती रही है। फिर अचानक यह सब क्यों हो रहा है? उन्होंने कहा कि होटल मालिकों से आधार कार्ड मांगना और दुकानदारों से जबरन पेंट उतारने को कहना गलत है। ओवैसी ने पुलिस की भूमिका पर भी सवाल किया कि पुलिस का काम ऐसे लोगों को गिरफ्तार करना है जो दुकानदारों को परेशान कर रहे हैं, लेकिन यहाँ तो प्रशासन खुद तमाशा बना रहा है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी अनदेखी की जा रही है। कोई कैसे किसी होटल में घुसकर मालिक से उसका धर्म पूछ सकता है? उन्होंने सरकार से इस मामले में स्पष्ट कार्रवाई की मांग की है।

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