Edited By Ajay kumar,Updated: 21 Nov, 2019 10:43 AM
पुराने समय से ही BA के पाठ्यक्रम में रामायण व महाभारत शामिल रहा है। रामायण के दोहे व महाभारत के कर्मवाद की शिक्षा सिलेबस का एक महत्वपुर्ण भाग रहा है। वहीं वैदिक काल से तो...
वाराणसीः पुराने समय से ही BA के पाठ्यक्रम में रामायण व महाभारत शामिल रहा है। रामायण के दोहे व महाभारत के कर्मवाद की शिक्षा सिलेबस का एक महत्वपुर्ण भाग रहा है। वहीं वैदिक काल से तो इतिहास की शुरूआत ही मानी जाती है। मगर अब इसी पुराने पाठ्यक्रम को BHU का इतिहास विभाग बदलने की तैयारी में है। नए सिलेबस को लेकर महत्वपूर्ण बैठक हुई। जिसमें बीए इतिहास के पुराने पाठ्यक्रम में से रामायण व महाभारत को हटाने के साथ-साथ वैदिक काल को भी हटाने पर चर्चा की गई।
सूत्रों से यह पता चला है कि BHU में नया सिलेबस तैयार करने की चर्चा है। चर्चा में यह बात साझा की गई है कि पुराने सिलेबस में से रामायण व महाभारत के साथ वैदिक काल को भी हटा दिया जाए। हालांकि इस बात पर कुछ शिक्षकों ने ज़ोरदार विरोध किया है। जिसके कारण यह अभी तक सबमिट नहीं किया जा सका है। फाइनल रिपोर्ट नहीं बन पाई है।
शिक्षकों के विरोध ने पाठ्यक्रम को फाइनल जमा होने से कुछ समय के लिए बचा लिया है। वहीं इतिहास विभाग के ही एक शिक्षक ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बीए प्रथम वर्ष के इतिहास पाठ्यक्रम में से वैदिक काल तथा रामायण व महाभारत को अलग करने की पूरी योजना बनी है। उन्होंने कहा कि वैदिक काल में से यदि इसे अलग कर दिया जाएगा तो बच्चे आखिर क्या पढ़ेंगे। इसलिए यह निर्णय सरासर गलत है। इसे पुरा भी नहीं करने दिया जाएगा।
छात्रों में भी इस खबर की चर्चा रही। विश्वविद्यालय परिसर में दिन भर इसको लेकर चर्चा का माहौल गरम रहा। इससे छात्रों में खासा आक्रोश है। दबी जबान से लोग पाठ्यक्रम में बदलाव पर चर्चा कर रहे थे।
इस विषय पर बीएचयू के पीआरओ डॉ. राजेश सिंह ने इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह गलत है। ऐसा हो ही नहीं सकता है। कोर्स के बारे में कोई भी निर्णय एकेडमिक काउंसिल लेती है। इस तरह का कोई सिलेबस फिलहाल सबमिट नहीं किया गया है। विश्वविद्यालय को बदनाम करने के लिए साजिश रची जा रही है।