Edited By Deepika Rajput,Updated: 12 Nov, 2018 04:40 PM
कभी कुख्यात डाकुओं की पनाह रही चंबल घाटी अब ईको टूरिज्म का हब बनने जा रही है। उत्तर प्रदेश वन विभाग ने पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर से करार किया है, जिसके तहत यहं आने वाले पर्यटक दुलर्भ घड़ियाल, मगरमच्छ, डॉल्फिन और विदेशी पक्षियों...
इटावाः कभी कुख्यात डाकुओं की पनाह में रही चंबल घाटी अब ईको टूरिज्म का हब बनने जा रही है। उत्तर प्रदेश वन विभाग ने पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर से करार किया है, जिसके तहत यहं आने वाले पर्यटक दुलर्भ घड़ियाल, मगरमच्छ, डॉल्फिन और विदेशी पक्षियों के साथ खूबसूरत बीहड़ का दीदार कर सकेंगे। इसके लिए 4 मोटरबोट की व्यवस्था की गई है जो 3 स्थानों पर चलेंगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने का सपना साकार हो गया है, जिसकी शुरुआत डकैतों को पनाह देने वाली चंबल घाटी से हुई है। पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के प्रबंधक संजीव चौहान ने बताया कि पिछले कई वर्षों से यह योजना विचाराधीन थी। अब वन विभाग ने इसके लिए पहल की है। इसमें जलीय जीवों, विदेशी पक्षियों के साथ चंबल घाटी के मंदिर एवं पुराने ऐतिहासिक किलों को भी दिखाए जाने की योजना है। इसके लिए इटावा के श्यामनगर में एक बुकिंग केंद्र खोल दिया गया है। 4 मोटरबोट तैनात कर दी गई हैं। पर्यटकों को लाइफ जैकेट के साथ दूरबीन और नेचर गाइड भी उपलब्ध कराया जाएगा।
उन्होंने बताया कि 28 किलोमीटर के नौका भ्रमण में 3 जलमार्ग बनाए गए हैं। पहला सहंसो से बरचौली (पांच किलोमीटर दूसरा भरेह से पथर्रा आठ किलोमीटर) और तीसरा भरेह से पंचनदा (15 किलोमीटर ) तक ले जाया जाएगा। दो मोटर बोटो में 16 लोगों के बैठने का प्रबंध किया गया है। इसमें पर्यटकों को लाइफ जैकेट भी प्रदान की जाएगी। अगर कोई हादसा हुआ तो पर्यटकों को बचाया जा सके। ट्रेंड स्टाफ के साथ-साथ नौका भ्रमण कराया जाएगा।