छोटे अपराधों में कार्रवाई के पूर्व व्यक्तिगत स्वतंत्रता व सामाजिक व्यवस्था के बीच संतुलन जरूरी: HC

Edited By Umakant yadav,Updated: 19 Jul, 2021 06:31 PM

balance necessary between personal liberty before action in petty offences hc

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक आदेश में राज्य के पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि सात वर्ष की सजा तक के व छोटी घटनाओं में कार्रवाई करने से पूर्व व्यक्तिगत स्वतंत्रता व सामाजिक व्यवस्था के बीच में संतुलन बनाने की कोशिश करें।

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक आदेश में राज्य के पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि सात वर्ष की सजा तक के व छोटी घटनाओं में कार्रवाई करने से पूर्व व्यक्तिगत स्वतंत्रता व सामाजिक व्यवस्था के बीच में संतुलन बनाने की कोशिश करें।       

न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय की नजीरो का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस को ऐसे मामलों में गिरफ्तारी के रूटीन तरीके नहीं अपनाने चाहिए। न्यायालय ने यह आदेश नोएडा में तैनात एक ट्रैफिक पुलिस के सिपाही की अर्जी को आंशिक रूप से मंजूर करते हुए दिया। न्यायमूर्ति डा0 के जे ठाकर ने कान्सटेबिल वीरेन्द्र कुमार यादव के धारा 482 दंप्रसं के तहत दाखिल अर्जी निस्तारित करते हुए आदेश दिया है कि याची के साथ किसी भी प्रकार की बलपूर्वक कार्रवाई न की जाए। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि याची की नोएडा में वीवीआईपी ड्यूटी थी। उसने अपने ड्यूटी के स्थान पर सही ड्यूटी की। बाद में पता चला कि एक ही समय में उसकी दो जगह ड्यूटी लगा दी गई थी। याची पर आरोप लगाया गया कि दो जगह ड्यूटी लगाने को लेकर हेड कान्सटेबिल (शिकायत कर्ता) के साथ याची ने मारपीट की। इस घटना को लेकर याची के खिलाफ थाना-सेक्टर 20 नोएडा में वर्ष 2018 में आईपीसी की धारा 332, 323, 504 व 506 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ। अधिवक्ता का कहना था कि कि याची की इसमें कोई गलती नहीं थी।       

पुलिस ने याची के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। जिसे पूर्व में चुनौती दी गई थी, लेकिन अदालत ने उसे यह कहकर खारिज कर दिया था कि याची न्यायालय में उचित समय पर डिस्चार्ज अर्जी दे और अदालत उस पर सकारण आदेश पारित करेगी। याची ने उच्च न्यायालय में दोबारा याचिका दाखिल कर निचली अदालत द्वारा डिस्चार्ज अर्जी खारिज कर देने के आदेश को चुनौती दी थी। कहा गया था कि याची सरकारी नौकरी में है और यदि वह गिरफ्तार कर लिया गया तो उसे अपूरणीय क्षति होगी। कहा गया था कि उस पर लगी सभी धाराएं सात वर्ष से कम के सजा की हैं।

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